कहते हैं कि प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। अगर आप के अंदर क्षमता है तो आप उम्र के किसी भी पड़ाव पर चमक सकते हैं। कुछ ऐसी ही प्रतिभा की धनी हैं, गुजरात की रहने वाली वसंती अखानी। वसंती ने पहले नमकीन और पकौड़े बेचे और अब 65 साल की उम्र में वह यूट्यूब की स्टार बन चुकी हैं।
नई दिल्ली। सोशल मीडिया ने आज हर किसी को अपना हुनर दिखाने के लिए एक मंच प्रदान किया हुआ है। इसी के जरिए बहुत से लोग अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। ऐसी ही प्रतिभा की धनी हैं गुजराज की वसंती अखानी, जो 65 साल की उम्र में यूट्यूब का स्टार बनी हैं। उन्होंने जिंदगी में तमाम मुश्किलों का सामना किया, उसके बाद अब प्रसिद्धि पाईं। अब वह अपनी रील्स के जरिए सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं।
मूलरूप से गुजरात की रहने वाली हैं, दिल्ली में रहती हैं
वसंती मूल रूप से गुजरात की रहने वाली हैं और बीते 35 सालों से दिल्ली में रह रही हैं। वसंती ने काफी दिक्कतें झेलीं हैं। घर चलाने के लिए वह 32 सालों तक रेहड़ी लगाकर नमकीन और पकौड़े
बेच चुकी हैं।
पांचवीं तक की है पढ़ाई
वसंती ने केवल कक्षा पांचवीं तक ही पढ़ाई की है। उन्हें अंग्रेजी का एक भी अक्षर नहीं आता, बावजूद इसके वह अंग्रेजी गानों पर बखूबी लिप-सिंक कर लेती हैं। वसंती की मानें तो उन्होंने अपने बच्चों
के लिए ये सब मेहनत की है ताकि उन्हें बेहतर शिक्षा मिल सके। वसंती के अनुसार सोशल मीडिया पर लोकप्रिय होने के साथ अब वह अपने संघर्ष भरे दिनों से भी बाहर आ गई हैं और अब वे इस समय को एंजॉय कर रही हैं।
इंस्टाग्राम पर हैं दो लाख से अधिक फॉलोवर्स
वसंती के अनुसार वह यह वीडियोज अपनी खुशी के लिए बनाती हैं। इंस्टाग्राम पर वसंती के 2 लाख से अधिक फॉलोवर्स हैं और यह संख्या अब तेजी से बढ़ रही है। वसंती के अनुसार उन्हें काफी खुशी होती है कि अब उनके पास इतना बड़ा परिवार है। रील्स बनाने के साथ वसंती समय मिलने पर भजन भी करती हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.