कारगिल युद्ध के हीरो शहीद विक्रम बत्रा की मंगेतर डिंपल चीमा आज भी बिना शादी किए कैप्टन बत्रा की यादों के सहारे जी रही हैं। ऐसा कर उन्होंने शहीद को सच्ची श्रद्धाजंलि दी है।
नई दिल्ली। कारगिल युद्ध में अपने पराक्रम से दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा को हर कोई जानता है। कई फिल्मों में भी उनके किरदार को दिखाया गया है, लेकिन कैप्टन बत्रा की जिंदगी से जुड़ी एक महिला को शायद ही लोग जानते हैं। डिंपल चीमा। ये कैप्टन बत्रा की मंगेतर हैं और कारगिल पर जाने से पहले दोनों की सगाई हुई थी । युद्ध खत्म होने के बाद दोनों की शादी होनी थी, लेकिन कैप्टन शहीद हो गए। डिंपल ने कैप्टन बत्रा और अपने परिवार, दोस्तों आदि के कहने पर भी किसी और से शादी से इनकार कर दिया। डिंपल ने आजीवन कैप्टन बत्रा की विधवा बनने का फैसला किया और आज भी वो उनकी यादों के सहारे जिंदगी बिता रही हैं।
डिंपल के कानों में आज भी गूंजते हैं कैप्टन बत्रा के शब्द
“या तो तिरंगा लहरा के आऊंगा या तिरंगा में लिपटा चला आऊंगा, लेकिन वापस जरूर आऊंगा” कारगिल युद्ध पर जाने से पहले डिंपल से मुलाकात के दौरान कैप्टन बत्रा ने उनसे ये शब्द कहे थे। डिंपल कहती हैं कि ये शब्द आज भी उनके कानों में गूंजते हैं। डिंपल को उम्मीद थी कि कैप्टन बत्रा जल्द लौटेंगे, लेकिन वो नहीं लौटे। डिंपल और कैप्टन बत्रा ने करीब पांच साल तक एक दूसरे को डेट किया और फिर उसके बाद फैसला किया वो शादी करेंगे। करगिल युद्ध से पहले दोनों की सगाई भी हुई। युद्ध से लौटने के बाद दोनों शादी करने वाले थे।
पंजाब में हुई थी दोनों की मुलाकात
1975 में चंडीगढ़ में जन्मीं डिंपल ने शुरुआती शिक्षा और बीए चंडीगढ़ से ही किया।1995 में आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में एमए इंग्लिश में दाखिल लिया और वहीं रहने लगीं। यहीं उनकी मुलाकात कैप्टन विक्रम बत्रा से हुई। वो भी यहां से पढ़ाई कर रहे थे। धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए, फिर एक दूसरे से साथ मिलने लगे और धीरे-धीरे मुलाकात प्यार में बदल गई। कैप्टन बत्रा कॉलेज के दिनों से ही आईएमए ज्वाइन करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। एग्जाम क्लियर कर उन्होंने आईएमए ज्वाइन किया। इस दौरान दोनों की मुलाकात लगभग बंद हो गई। पढ़ाई पूरी होने के बाद विक्रम बत्रा को पोस्टिंग मिल गई, तो जब विक्रम घर आते तो ही दोनों मिलते। डिंपल की मानें, तो करगिल युद्ध पर जाने से पहले कैप्टन बत्रा ने अपने खून से उनकी मांग भर दी थी। वो कहती हैं कि वो कैप्टन बत्रा से नाराज हैं कि वो लौटकर नहीं आए, लेकिन जब मिलेंगी तो सारी नाराजगी दूर हो जाएगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.