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जूली ने बीपीएससी एग्जाम में लगाई हैट्रिक

Published - Fri 08, Oct 2021

बिहार के बेतिया की रहने वालीं जूली कुमारी श्रम प्रवर्तन अधिकारी हैं और उन्होंने तीसरी बार बीपीएससी का एग्जाम पास किया है। जल्द ही वे एडीएम के पद पर कार्य करेंगी।

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नई दिल्ली। हौसला अगर बुलंद हो तो कोई भी मुश्किल राह में रोड़ा नहीं अटका सकती। ये कहावत बिहार की जूली कुमारी पर एकदम सटीक बैठती है। जूली मोतिहारी में श्रम प्रर्वतन अधिकारी हैं और तीन बार से बीपीएससी का एग्जाम दे रही हैं और तीनों बार ही उन्होंने सफलता हासिल की है। इस बार मिली सफलता के बाद जूली को एडीएम का पद मिलेगा।
बचपन में सिर से उठ गया पिता का साया
बचपन से ही जूली बेहद समझदार और पढ़ाई में तेज थीं। एक साधारण से परिवार में जन्मीं जूली क पिता एक शिक्षक थे। जूली ने अभी होश संभाला ही था और जिंदगी को लेकर सपने बुनने शुरू ही किए थे कि अचानक से उनके सिर से पिता का साया उठ गया। एकदम से मिले झटके से जूली पूरी तरह टूट गईं और जिंदगी में आए इस खालीपन को भरने के लिए उन्होंने प्रयास शुरू किए। पिता अजीत कुमार पांडेय हमेशा से ही जूली को पढ़ाई सहयोग करते और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते। जूली के पिता का सपना था कि जूली एक सफल अधिकारी बनें। पिता की मौत से टूट चुकीं जूली को मां आशा पांडेय ने सहारा दिया और कभी कोई कमी नहीं होने दी और हमेशा जूली के साथ खड़ी रहीं। पिता की चाहत को पूरा करने के लिए जूली ने बीपीएससी जैसी परीक्षा देने की ठानी। समय आने पर उन्होंने तैयारी शुरू की और परीक्षा दी। पहली ही बार में जूली ने परीक्षा उत्तीर्ण कर लीं। परिवार में चार बच्चों में दूसरे नंबर की जूली की एक बड़ी बहन व दो छोटे भाई हैं। बड़ी बहन डॉ. सविता रांची विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। दोनों भाई में से एक एकेडेमिक एग्जाम की तैयारी करने में जुटा है। एक छोटा भाई आर्यन आश्विन उत्तर प्रदेश सरकार में शिक्षक है।
बेतिया से की पढ़ाई
परिवार चूंकि बेतिया में रहता था तो कक्षा एक से बारहवीं तक की पढ़ाई जूली ने बेतिया से पूरी की। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए बनारस चली गईं और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और वहीं रहकर बीपीएससी की तैयारी करने लगीं। पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए जूली प्रयागराज चली गईं और वहां से पीजी की पढ़ाई की।
तीनों बार पाई सफलता
जूली ने तीसरी बार बीपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की है। पहली बार राजस्व अधिकारी बनीं। दूसरी बार परीक्षा पास कर मोतिहारी की श्रम प्रर्वतन अधिकारी बनीं और अब तीसरी बार सफलता पाने के बाद उन्हें एडीएम का पद मिलेगा। उनकी सफलता से परिवार बेहद खुश है। अपने क्षेत्र में काम को गंभीरता से करने पर हाल ही में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर डीएम मोतिहारी ने जूली को सम्मानित किया है। जूली ने एक ही दिन में मोतिहारी के सदर प्रखंड के 18 प्रतिष्ठानों से 26 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया था। जूली अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देती हैं।