Aparajita
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महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

अधिकारी के साथ एक लेखिका भी हैं ईशा

Published - Sat 09, Mar 2019

अपराजिता बहादुर बेटियां

aparajita bahadur betiyaan esha pandey

एक सख्त अधिकारी और संवेदनशील लेखिका हैं ईशा पांडेय। पिता और मां दोनों नौकरीपेशा और तीन बहनें। कहती हैं कि पढ़ाई लिखाई का माहौल शुरू से मिला। नंदन और चंपक पढ़ते-पढ़ते लिखने का शौक कब हो गया पता ही नहीं चला। रही बात सिविल सेवा में आने की तो ये सपना भी बचपन में ही मेरी आंखों ने देखना शुरू कर दिया था। 'समवन एक्जेक्टली लाइक यू' और 'किस ऑफ लाइफ', दो किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

दो लाख से ज्यादा बच्चियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दिलवाई
कहती
हैं कि बेटियों को इतना मजबूत होना होगा कि वह अपनी रक्षा खुद कर सकें। उनमें आत्मरक्षा का भाव भरना होगा। यही सोच को लेकर डीसीपी एसपीयू वीमेन एंड चाइल्ड, रहते दो लाख बच्चों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दिलवाई थी, यह लिम्का बुक रिकॉर्ड में भी दर्ज है।

बेटियों का सम्मान लक्षद्वीप से सीखें
ईशा
बताती हैं कि जब मैं ट्रांसफर होकर लक्षद्वीप आई तो यह देखकर आश्चर्य भी था और खुशी भी कि यहां महिलाओं को  संपत्त्ति में हक भी है और बेटी होने की खुशी भी मनाते हैं। मातृसत्तामक समाज होने के मायने यहां आकर पता चले। सही मायने में बेटियों का सम्मान इनसे सीखना चाहिए।

'दुनिया उतनी ही खूबसूरत है, जितने कि आप। कभी-कभी ऐसा होता है कि हम अपने चारों तरफ कुछ बुरी बातों या नकारात्मक विचारों से घिर जाते हैं।'

ईशा पांडेय
डीसीपी, अरुणाचल प्रदेश