अपराजिता चेंजमेकर्स
काशीपुर। आयुषी नागर उन वंचित बच्चों के ख्वाबों को साकार कर रहीं हैं, जिनकी हसरतें साधनों के अभाव में दम तोड़ रही हैं। वह मलिन बस्तियों में रहने वाले मजदूरों के बच्चों को शिक्षित और संस्कारित कर रही हैं। आयुषी का परिवार सामाजिक कार्यों से जुड़ा है। कानून की छात्रा आयुषी बताती हैं कि साधनों के अभाव में शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षित करने के लिए उनकी जद्दोजहद जारी है। उन्होंने अपने साथियों की मदद से 'ख्वाहिशें एनजीओ' का गठन किया है। टांडा उज्जैन स्थित मलिन बस्ती में अपनी टीम की मदद ये वह गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए दोपहर तीन से शाम सात बजे तक कक्षाएं चलाती हैं। बीते वर्ष उन्होंने वहां मकान किराए पर लिया और बच्चों के लिए कक्षाएं संचालित की है। उनकी टीम के साथी अभिषेक बत्रा, हार्दिक सचदेवा, लोकेश पाल के अलावा उनकी मां कुमकुम भी कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाते हैं। उनकी एनजीओ में कक्षा आठ तक के 45 बच्चे पढ़ रहे हैं। इनमें से 15 बच्चों का प्रवेश उन्होंने तुलाराम राजाराम सरस्वती विद्या मंदिर, तारावती सरोजनी देवी कॉलेज व सरस्वती शिशु मंदिर में कराया है। आयुषी की मां कुमकुम नागर आईटीआई से सेवानिवृत्त हैँ। आयुषी व कुमकुम नवचेतना सांस्कृतिक मंच की सदस्य भी हैं। वह परिवारों से अलग रहने वाली वृद्धाओं को पेंशन दिलाने का काम करती हैँ। साथ ही हादसों में घायल होने वाले पशुओं के रेस्क्यू के साथ उनके संरक्षण का काम कर रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.