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आशिया की एक कोशिश, चार बस्तियों के बच्चे अब जाने लगे स्कूल

Published - Sun 24, Mar 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां

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अगर पूरे उत्साह और ईमानदारी के साथ कोशिश की जाए तो कभी हार नहीं होती। यह कर दिखाया आशिया ने । इस कोशिश में अब वह अकेली नहीं हैं, उन जैसी कई युवतियां भी उनके साथ जुटी हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में पीजी के बाद महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से सोशल वर्क में मास्टर डिग्री के साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहीं दारागंज की आशिया अशिक्षा के अंधेरे को दूर भगाने में जुटी हैं। ग्रेजुएशन के दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना से सेवा का संस्कार सीखने वाली आशिया ने शुरुआत संस्था से नाता जोड़ते हुए शालिनी यादव, अंजलि सिंह, अंजू, पूजा आदि के साथ मलिन बस्ती या दूर दराज के गांवों में जाकर ऐसे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, जिनमें पढ़ने की ललक थी, पर वे साधनविहीन थे। आशिया और साथियों की कोशिश से ऐसे हजारों बच्चों ने स्कूल का मुंह देखा, जिनके पढ़ने की कोई उम्मीद नहीं थी। कई बेटियों ने तो पढ़कर परिवार को भी संवारा। सामाजिक कार्यों के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल कर चुकीं आशिया कहती हैं, एक बार त्योहार पर मिठाइयां बांटते हुए जब एक बच्चे से पूछा, पढ़ना चाहोगे और उसने आस से सिर हिला दिया तो बस, उनकी जिंदगी में रोशनी भरने का संकल्प ले लिया। सीएमपी के पास की हरिहर बस्ती की रीता भी मददगार बनीं। फिलहाल ऐसी ही चार बस्तियों के बच्चे पढ़, बढ़ रहे हैं, हौसले और उम्मीद के साथ।