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कल्पना ने दिलाई लोगों को 'अभिशाप'से मुक्ति, सीएम योगी कर चुके हैं सम्मान

Published - Mon 01, Apr 2019

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बमरौली कटारा में 624 शौचालय बनवाए, पांच हजार पौधों का रोपण

आगरा। बरौली अहीर ब्लॉक की ग्राम पंचायत बमरौली कटारा भी आगरा जिले के अन्य गांवों की तरह पिछड़ा गांव हुआ करता था। यहां अस्सी फीसदी लोग खुले में शौच करने के आदी थे। वर्ष 2015 में प्रधान बनने के बाद गांव की बहू कल्पना कटारा ने तस्वीर बदलने की ठानी। दो साल की मेहनत के बाद न केवल अपने गांव को बल्कि आसपास के गांवों को भी ओडीएफ कराने के कारण प्रेरणा बन गईं। उनके योगदान को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सराहा और सम्मानित किया। अब उनका लक्ष्य गिरते भू गर्भ जल स्तर में सुधार करने का है, ताकि ब्लाक को डार्क जोन से बाहर निकाला जा सके। फतेहपुर सीकरी की रहने वाली कल्पना का रिश्ता वर्ष 2007 में बमरौली कटारा में तय हुआ तो उनके ससुराल में शौचालय नहीं था। उन्होंने ससुरालीजनों के सामने शर्त रखी कि विदाई तभी होगी, जबकि घर में शौचालय बनेगा। उनका यह कदम तब अखबारों की सुर्खियां बन गया। ससुराल पहुंचने के बाद भी उनका जज्बा बरकरार रहा। गांव केहालात देखकर उन्होंने प्रधान बनने की ठानी। पति किशन कटारा ने भी सहयोग किया और वह 2015 में प्रधान चुन ली गईं। इसके बाद उन्होंने स्वच्छता मिशन को नये मायने दिए। घर-घर जाकर ओडीएफ के प्रति जागरूक करने के दौरान उन्हें कई दफा लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा। उन्होंने अपनी ग्राम पंचायत को वर्ष 2017 में 559 शौचालय बनवाकर ओडीएफ करवाया। उनके योगदान को देखते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने वर्ष 2017 में उनका लखनऊ में सम्मान किया। फिल्म टायलेट एक प्रेमकथा की नायिका भूमि पेडनेकर ने भी उनके प्रयासों को सराहा। दिल्ली में उनसे मुलाकात की। आगरा के मुख्य विकास अधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ का कहना है कि बमरौली की प्रधान कल्पना ने स्वच्छता मिशन में बेहतरीन योगदान किया है।

ग्राम पंचायत में बनवाए शौचालय

वर्ष 2016-17 559

वर्ष 2018-19 65

 

अब हरियाली और भूगर्भ जल स्तर में सुधार के लिए काम करूंगी: कल्पना

मैं जब ब्याह के बाद गांव आई थी तो संपन्नता के बाद भी गंदगी और खुले में शौच जाने की लोगों की आदत थी। बहू-बेटियां इकट्ठा होकर शौच को जाती थीं। यहां तक कि जिनके घरों में शौचालय बने थे, वे भी इनका प्रयोग यदा-कदा करते थे। पहले लोगों को समझाया मगर गांव के लोग बहू की बात कैसे मानते। इसे देखते हुए मैंने प्रधान बनने का निश्चय किया। पहले तो लोग कुछ समझने को तैयार नहीं होते थे, लेकिन स्वच्छ भारत मिशन में जुटे कर्मचारियों का सहयोग मिला और शौचालय बनवाना शुरू किया। कई ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने शौचालय के लिए मिली सरकारी रकम दूसरे कामों में लगा दी। ऐसे में पंचायत बुलाकर दबाव बनाया। अब गांव में 624 शौचालय बन चुके हैं। दुख है कि इतना सब होने के बाद भी गांव में गंदगी फैलाने से लोग बाज नहीं आते हैं। सफाई कर्मियों की कमी के कारण मुश्किल आती है। अब गांव में भूगर्भ जल स्तर में सुधार करने के प्रयास कर रही हूं। इस दफा पांच हजार से ज्यादा पौधे लगवाए हैं, लेकिन घुमंतू पशुओं की समस्या के कारण हरियाली को नुकसान पहुंच रहा है।

इन गांवों को भी कराया ओडीएफ

- बिसहेरी भांड़, कुंडौल, कलाल खेड़िया, हिंगोट खेड़िया।