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ब्रॉंटे बहनों की बात बखूबी बयां कर रहीं लीमा

Published - Fri 29, Mar 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में शोध कर रही युवा लेखिका लीमा धर फिर एक बार चर्चा में हैं। 19वीं सदी की बात है उस समय में इंग्लैंड में महिलाएं घोर पितृसत्ता से जूझ रही थी। ऐसे वक्त में ब्रॉटे बहनों को यह बात खटती रही। अखिर वह दिन भी आ गया जब उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने न सिर्फ अपने लिए, बल्कि इस समाज में पितृसत्ता में जी रही हर एक महिला को इससे आजादी लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिलाओं पर हो रहे अत्याचार की कहानियों को अपने उपन्यास का विषय बनाया। महिलाओं की आवाज बनकर ब्रॉंटे बहनों ने जिस तरह समाज के सामने महिलाओं के संघर्ष को उजागर किया, लीमा उसी पर शोध कर रही हैं। लीमा बॉटे बहनों से बेहद प्रभावित हैं। वह भी चाहती है कि महिलाएं समाज में अपने उस अधिकार को प्राप्त करें जिसकी वह हकदार है। वह बिना किसी पाबंदी के अपने अनुसार जिएं। इसलिए लीमा  ने इसे अपने शोध का विषय बनाया है। लीमा का यह शोध नारीवाद को अलग पहचान देगा। वह एक अंग्रेजी उपन्यास भी लिख रही हैं, जो इसी विषय पर केंद्रित है। शोध कार्य और उपन्यास पर साथ काम कर रही लीमा देश के विभिन्न शहरों में अनेक मंचों पर व्याख्यान दे चुकी हैं।