अपराजिता चेंजमेकर्स बेटियां
वो अकेली महिला...तीन बेटियां और एक बेटा। पति की मौत के बाद उसके पास कोई सहारा नहीं था। लेकिन पति का सपना भी पूरा करना था बेटियों को अफसर बनाने का। ... और वो जुट गईं उस सपने को साकार करने में। खास बात यह रही कि मां और पिता के इस सपने को पूरा करने में बेटियों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी और पूरी मेहनत और दिन रात एक करके सपने को सच कर दिखाया।
पढ़ाई में आड़े नहीं आई गरीबी
राजस्थान के जयपुर जिले के सारंग का बास गांव में रहनेवाली मीरा देवी नाम की विधवा महिला ने आखिर अपने पति की अंतिम इच्छा को पूरा कर ही लिया। पति की अंतिम इच्छा थी कि उसकी तीनों बेटियां पढ़-लिखकर बड़ी अफसर बनें, इसलिए अपने पति की मौत के बाद मीरा देवी ने दिन-रात मेहनत-मजदूरी करके अपनी तीनों बेटियों को पढ़ाया। मीरा देवी के बेटे रामसिंह ने भी मां का साथ दिया। तीन बहनों का इकलौता भाई भी पिता के सपने को पूरा करने में अपनी पढ़ाई छोड़कर मां के साथ खेतों में मेहनत-मजदूरी करने लगा। मां और बेटे ने दिन-रात खेत में मजदूरी की और तीनों लड़कियों की पढ़ाई में गरीबी को आड़े नहीं आने दिया।
तीनों बेटियां बन गईं अफसर
मीरा देवी की तीनों बेटियां कमला चौधरी, ममता चौधरी और गीता चौधरी ने भी पूरी मेहनत और लगन से पढ़ाई की और पिता की अंतिम इच्छा को पूरा कर किया। तीनों बहनों ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा यानी आरएएस की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर इतिहास बना डाला। गांव के एक छोटे से कच्चे मकान में रहनेवाली इन तीनों बेटियों ने मन लगाकर न सिर्फ पढ़ाई की, बल्कि उन्होंने एक योजना बनाकर दो साल तक जमकर प्रशासनिक सेवा की तैयारी की। हालांकि तीनों बहनों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में भी भाग्य आजमाया था, लेकिन असफल रहीं थीं। इसके बाद तीनों ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा की तैयारी की और परीक्षा देकर कामयाब हुई।
शादी के दबाव को झेला, लेकिन नहीं झुकी
पति के देहांत के बाद मीरा देवी को कई परेशानियों से गुजरना पड़ा। समाज और रिश्तेदार मीरा देवी पर तीनों बेटियों की शादी करने के लिए जोर डालने लगे। लेकिन मीरा देवी ने इस दबाव को भी झेला और बिना टूटे लक्ष्य को सफल बनाने पर ही ध्यान दिया। आखिर में बेटियों ने पति और उसके सपने को सच कर ही दिया।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.