अपराजिता चेंजमेकर्स
नैनीताल। सौ वर्ष की आयु पूरी करने के बाद अनंत यात्रा पर निकली पार्वती देवी ने अपना जीवन महिलाओं को अपराजिता बनाने में समर्पित कर दिया। अत्यंत कठिन और विपरीत परिस्थितियों में जीवन व्यतीत करने के बावजूद पार्वती अंतिम समय तक भी सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित रहीं। बच्चों के पालन पोषण के दायित्व के बीच पास-पड़ोस की महिलाओं को सिलाई, बुनाई, कढ़ाई के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने और शिक्षित करने का समय पार्वती देवी निकाल ही लेती थीं। पति पीडी तिवारी अध्यापक, लेखक, कवि, और संगीतकार थे। पार्वती ने नैनीताल में अकेले ही बच्चों के पालन पोषण के साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़ चढ़कर भाग लिया। उनके प्रयासों और आर्थिक सहयोग से नैनीताल में कई वर्षों से मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित व सम्मानित किए जाने का वृहद कार्यक्रम किया जाता है। पार्वती अपनी वसीयत में भी अपनी बचत की राशि से गरीब कन्याओं के विवाह कराने, कंबल वितरण, नेत्रहीनों की सहायता करने जैसे कार्यों की व्यवस्था कर गईं हैं। उन्हें उत्तराखंड के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पीसी पंत, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, भगत सिंह कोश्यारी, अजय भट्ट सहित विभिन्न महत्वपूर्ण व्यक्तियों सहित लेक सिटी वेलफेयर क्लब ने समय-समय पर सम्मानित भी किया। अपनी अत्यंत व्यवस्थित दिनचर्या, सादे भोजन, कड़े परिश्रम के चलते 100 वर्ष की आयु तक भी न उन्होंने कभी कोई दवा खाई और न ही अस्पताल गईं। अंतिम समय में पैर में फ्रैक्चर होने पर पहली बार वह अस्पताल में भर्ती हुईं थीं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.