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स्कूल नहीं आने वाली बेटियों के घर पहुंचीं पूर्णिमा, अब छात्रों से ज्यादा पढ़ रहीं छात्राएं

Published - Sun 24, Mar 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स

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प्राथमिक विद्यालय सुआगाडा द्वितीय, अंग्रेजी माध्यम की प्रधानाचार्य पूर्णिमा मिश्रा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन को अपने विद्यालय में साकार रूप देने में जुटी हैं। विद्यालय में बालक-बालिका नामांकन का अनुपात बराबर है। दैनिक उपस्थिति में बालिकाओं की उपस्थिति बालकों से ज्यादा रहती है। पहले ऐसा नहीं था, छह सात वर्षों में उन्होंने अभिभावकों को प्रेरित किया, जिससे गांव सुआगाडा,  घोसियाना, प्यारेपुर  देहात व हिदायत नगर जैसे अल्पसंख्यक समुदाय बहुल क्षेत्र के बच्चों की पढ़ाई शुरू हो सकी। शुरुआत में यहां बालिकाओं का नामांकन तो करा दिया जाता था पर स्कूल नहीं भेजा जाता। पूर्णिमा मिश्रा ने घर-घर जाकर संपर्क किया, फिर महिला डॉक्टर, रेडक्रास से स्वच्छता, महिला पुलिस द्वारा आत्मरक्षा, समर कैम्पस  में सिलाई कढ़ाई प्रशिक्षण और योग कक्षा के माध्यम से माताओं को जोड़ा। इससे वह बेटियों को स्कूल तक लाने में कामयाब हो सकीं। उनके इस प्रयास के लिए राज्यस्तरीय पुरस्कार भी मिल चुका है।