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विवाह के 14 साल बाद पढ़ाई की, कामयाब बन अब दूसरों को रोजगार दे रहीं सीमा

Published - Tue 26, Mar 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स

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लोहाघाट (चंपावत)। लोहाघाट की सीमा ने अपनी जीवटता से दिखा दिया कि उनके लिए आगे बढ़ने की कोई सीमा नहीं है। मुश्किल परिस्थितियों से सामना कर उन्होंने पहले खुद स्वरोजगार की राह अपनाई और बाद में कमजोर व जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार दिया। सीमा लोगों को स्वच्छता अभियान और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के प्रति लोगों को जागरूक कर रही हैं। स्वच्छता और समाज सेवा में बेहतरीन योगदान के लिए जून 2017 को मुख्यमंत्री ने सीमा देवी को राज्य स्वच्छता गौरव सम्मान से भी नवाजा।

महज 16 वर्ष की उम्र में 1999 में विवाह होने के बाद 10 वर्ष तक वह परिवार की जिम्मेदारी निभाने में लग गई। पति मुकेश कुमार के बेरोजगार होने के कारण परिवार का भरण-पोषण करने, पढ़ाई का शौक पूरा करने के लिए सीमा ने आठवीं से आगे की पढ़ाई शुरू करने के साथ ही एक निजी स्कूल में आया का काम करना शुरू कर दिया। बाद में उन्होंने हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की। इस वक्त उनकी बड़ी बेटी काशीपुर से एलएलबी कर रही है। दूसरी बेटी इंटर और छोटा बेटा सातवीं में पढ़ रहा है। सीमा ने बेहद मामूली रकम से काम शुरू कर उद्योग विभाग की मदद से इसे आगे बढ़ाया। उन्होंने हाथ और मशीन से स्वेटर बुनकर हथकरघा, बच्चों के खिलौने बनाकर बेचने शुरू कर दिए। धीरे-धीरे उनका कारोबार बढ़ा तो आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सजावटी सामान, सिलाई-बुनाई का निशुल्क प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनाया। इन प्रशिक्षित महिलाओं को सीमा अपनी ही दुकान में काम भी देती हैं। इस वक्त वह 15 से अधिक महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।