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शन्नो ने 40 की उम्र में दसवीं पास कर बनवाया लाइसेंस, पहली महिला ऊबर ड्राइवर बनीं

Published - Thu 04, Apr 2019

अपराजिता चेंजमेकर्स

हिम्मत और लगन हो तो न उम्र आड़े आती हैं और न ही हार का डर रहता है। मजबूरियां इंसान को कैसे संघर्ष करना सिखा देती है, अगर यह देखना हो तो दिल्ली की शन्नो बेगम से मिल लीजिए। आज शन्नो परेशानियों से हताश होकर बैठी महिलाओं के लिए ही नहीं, पुरुषों के लिए भी मिसाल है। तीन बच्चों की मां शन्नो सिंगल मदर है। पति के बाद तीन बच्चों को पालने और परिवार चलाने की सारी जिम्मेदारी अब अनपढ़ शन्नो पर थी। उन्होंने सब्जी का ठेला लगाने से लेकर घरों में खाना बनाने तक सब कर लिया, लेकिन कुछ भी करके वो इतना नहीं कमा सकी जिससे चार पेट भरे जा सकें और तीन बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई जा सके। एक दिन उन्हें पता चला कि आजाद फाउंडेशन की ओर से छह महीने का एक निशुल्क ड्राइविंग कोर्स कराया जा रहा है। शन्नो ने वह कोर्स कर लिया। कोर्स के बाद उसने कुछ लोगों की निजी गाड़ियां चलाईं। फिर 40 साल की उम्र में वह दिल्ली की पहली महिला कैब ड्राइवर बन गईं। इसके लिए उन्हें दो बार दसवीं बोर्ड की परीक्षा देनी पड़ी। दसवीं पास करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया। ये सब सिर्फ अपने बच्चों के लिए ताकि उन्हें अच्छा खाना और बेहतर शिक्षा मिले और बच्चों की जिंदगी मां से अच्छी हो सके।

दर्द भरी थी शानू की जिंदगी
शन्नो
ने यह कभी भी नहीं सोचा था कि वह एक महिला ड्राइवर बनेगी। उनकी शादीशुदा जिंदगी अच्छी नहीं चल रही थी, पति आए दिन मारता-पीटता था। एक दिन उनके पति ने अपनी सारी हदें पार करते हुए उन पर पत्थर से हमला कर दिया। जब घरेलू हिसा की हदें पार हो गई तो शन्नो ने भी थप्पड़ से इसका जवाब दिया। इस घटना के तीन साल बाद शन्नो के पति की मौत हो गई। घर की सारी जिम्मेदारियां शन्नो के कंधों पर आ गई। बच्चों से लेकर घर खर्च तक सारा काम उन पर आ गया। उन्होंने बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने अपनी बड़ी बेटी की शादी की, छोटी बेटी बीए कर रही है और बेटा भी स्कूल जा रहा है।