अपराजिता गर्व
राह चलती महिलाओं, युवतियों के साथ छेड़खानी करने, बस-टैक्सी में अपनी हरकतों से महिलाओं को परेशान करने वाले मनचलों के लिए बस एक ही नाम काफी है, और वो है एसपी सौम्या सांबशिवन का। लोग अब उन्हें 'लेडी सिंघम' कहने लगे हैं, क्योंकि सौम्या मनचलों को सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं। यह भी कहा जाता है कि एक प्रदर्शन के दौरान एक विधायक द्वारा खराब बर्ताव करने पर उन्हें थप्पड़ लगाते हुए जेल भी भिजवा चुकी हैं। अपनी दबंग कार्यशैली और अपराधों के साथ अपराधियों पर लगाम के लिए सौम्या जहां भी जाती हैं, महिलाओं के दिलों में खास जगह बना लेती हैं। सौम्या का जन्म केरल के पालघाट में हुआ था। 2010 बैच की आईपीएस सौम्या एमबीए कर चुकी हैं। उन्होंने एक मल्टीनेशनल बैंक में भी जॉब की और लेखिका बनना चाहती थीं। लेकिन बाद में वे आईपीएस बनीं। अब वे हर तरह के अपराधों पर नियंत्रण करने के लिए सीधी और मैदानी कार्रवाई करने के लिए जानी जाती हैं।
लड़कियों को सिखाती है स्प्रे का इस्तेमाल करना
हर कोई जानता है कि अपराधियों को पकड़ने और किसी भी तरह की वारदात रोकने के लिए पुलिस को पहुंचने में कभी थोड़ा तो कभी ज्यादा वक्त लग ही जाता है। ऐसे में आईपीएस सौम्या लड़कियों को एक खास तरह का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग भी देती हैं। यह स्प्रे मिर्ची, रिफाइंड और नेल पेंट से बना होता है, जो मनचलों की आंखों में स्प्रे किया जाता है। इस असर इतना खतरनाक होता है कि मनचले आधे घंटे तक आंखें नहीं खोल पाते। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए न केवल वे महिलाओं से खुद मिलती है, बल्कि उन्हें आत्मरक्षा के तरीके भी सिखाती हैं।
साहसी अफसरों में गिना जाता है आईपीएस सौम्या को
आईपीएस सौम्या की गिनती साहसी अफसरों में होती है। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में नशीले पदार्थों यानी ड्रग्स, शराब और मानव तस्करी के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने का श्रेय भी सौम्या को जाता है। सिरमौर में एसपी रहते हुए उन्होंने ब्लाइंड मर्डर के कई मामलों को भी सुलझाया। अपराधियों को भी पकड़ा। उन्होंने तिहाड़ से रिहा हुए एक ऐसे पेशेवर अपराधी को गिरफ्तार किया था, जो कत्ल के आरोप में खुला घूम रहा था। आईपीएस सौम्या सांबशिवन की कार्यशैली को पूरे हिमाचल में एक नई पहचान मिली और उन्होंने खूब लोकप्रियता मिली।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.