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लोगों ने कहा, कारखाना संभालना औरतों का काम नहीं, रिफत ने कर दिखाया

Published - Sat 13, Apr 2019

अपराजिता गर्व

जम्मू कश्मीर के श्रीनगर स्थित डाउन टाउन की रहने वाली रिफत जान। मेहनती और जुनूनी ऐसी कि जो सोच ले, कर दिखाए। उन्होंने कुछ ऐसा ही ठाना और कर दिखाया कि आज वे हर महिला के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। रिफत के परिवार में क्रिकेट के बैट बनाने का कारखाना है, जिसे ससुर संभाल रहे थे। अचानक ससुर के निधन के बाद यह जिम्मेदारी उठाई रिफत ने। लोगों ने जब यह जाना तो ताने भी शुरू हो गए। लोग कहते, यह काम मर्दों के हैं, औरत कैसे यह काम कर सकती है? लेकिन रिफत ने इन तानों को अनसुना किया और लग गई अपने काम में। उस क्षेत्र में अमूमन महिलाएं कपड़ों पर कढ़ाई और कालीन बनाने जैसे काम ही करती हैं, लेकिन रिफत ने एक बड़ी चुनौती को स्वीकार किया था।

घर पर बच्चे रोते, लेकिन काम संभालना भी जरूरी था
रिफत ने बताया कि कारखाना संभालने के साथ ही उन्हें कई तरह के संघर्ष करने पड़े। उन्हें बैट का सामान लाने के लिए बाहर जाना होता, क्लिफ्ट लानी होती थी। श्रीनगर से 10 किलोमीटर दूर पंपोर में क्लिफ्ट लाने जाना पड़ता। कश्मीरी विलो का भी इसमें इस्तेमाल होता है। यह सभी काम वह देखतीं। यही नहीं, बैट के लिए लकड़ी की पहचान भी जरूरी होती थी, उसे भी पूरी बारीकी से चैक करना होता था कि कहीं से कटी-फटी न हो, मुलायम हो। इसके अलावा उन्हें बैट के लिए स्टीकर आदि सामान लाने के लिए भी घर से दूर बाहर जाना पड़ता था। रिफत बताती हैं कि जब घर में अकेले बच्चे रोते तो आसपास की महिलाएं भी ताने मारने लगी, कैसे बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर चली जाती है, इसका काम काम व्यापार संभालना नहीं, रसोई संभालना है।

मजदूरों से खुद करवाती काम

रिफत बताती हैं कि उनके यहां से बैट चेन्नई और मुंबई जाते हैं और सभी डीलर की अलग-अलग मांग होती है। चेन्नई वाले कम वजनी बैट की डिमांड करते तो उनके अनुसार बैट तैयार करवाने होते थे। वहीं, मुंबई वालों की अलग मांग होती थी, उसका भी ध्यान रखना पड़ता है। पहले चेन्नई और मुंबई के डीलरों की बात समझ में नहीं आती, लेकिन धीरे-धीरे सब समझ में आने लगा। डीलर का माल समय से न पहुंचे तो 24 घंटे ट्रांसपोर्टर से संपर्क में रहना जो कि काफी तनावपूर्ण होता है, लेकिन इसमें मैं सफल हो रही हूं, यह कर पा रही हूं। अब घर का काम करने के बाद कारखाने में मजदूरों को बताती हूं कि क्लिफ्ट की कटाई कैसी होनी चाहिए। पहले जो ताने मारते थे, अब वे अपनी बहन बेटियों और महिलाओं को मेरा उदाहरण देते हैं कि इस महिला से कुछ सीखो। यह बात जब मुझे पता चलती थी है तो खुशी मिलती है।