अपराजिता मैदान की महारथी
इस बार दिल्ली के केडी जाधव इंडोर स्टेडियम में नवंबर 2018 में हुई इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन की महिला विश्व चैंपियनशिप में मैरीकॉम ने प्रथम स्थान हासिल किया तो इस प्रतियोगिता में यह उनका छठवां खिताब था। 35 साल की चुंगनीजंग मैरीकॉम हमंग्ते जिन्हें हम मैरीकॉम नाम से ज्यादा पहचानते हैं। मणिपुर के गांव कांगाथेई के एक गरीब परिवार में जन्मी मैरी के माता-पिता सीमांत किसान थे और जमीन किराये पर लेकर खेती करते थे। पिता मांग्ते तोन्पा खुद कभी पहलवानी कर चुके थे, लेकिन बेटी को बॉक्सिंग की अपनी पसंद उनसे छिपानी पड़ी। वजह, कहीं मैरी के चेहरे पर कोई चोट आई तो उसे अच्छा लड़का कैसे मिलेगा? लेकिन अपनी मेहनत से 17 साल की उम्र में जब मैरी स्टेट बॉक्सिंग चैंपियन बनी तो पिता को पता चल गया, अखबारों में मैरी की तस्वीरें जो छपी थीं। कुछ समय में परिवार ने मैरी के लक्ष्य को समझा और उसे पूरा समर्थन देना शुरू कर दिया।
यूं हीं नहीं बनीं छह बार विश्व चैम्पियन
मेहनत और परिवार से मिले समर्थन का ही परिणाम था कि मैरी छह बार विश्व चैंपियनशिप बनीं। फिलहाल वे टोक्यो ओलंपिक 2020 की तैयारियों में जी-जान से जुटी हैं, तो साथ ही सामाजिक सरोकारों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। सर्कसों में वन्यजीवों के उपयोग पर प्रतिबंध के लिए उन्होंने अभियान छेड़ा है तो साथ ही स्कूलों में भी बच्चों को पशु-पक्षियों के प्रति संवेदनशील बनाने पर काम कर रही हैं।
'कभी भी कोई आपसे यह न कहे कि आप कमजोर हैं, क्योंकि आप महिला हैं। इसके लिए जरूरी है कि खुद को मजबूत बनाएं।'
मैरीकॉम, बॉक्सर
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.