अपराजिता साइलेंट चेंजमेकर्स
एटा। चूल्हे-चौके में सिमटी जिंदगी को उन्होंने नई राह दी। महिला अधिकार, कन्या भ्रूण हत्या रोकथाम, कुपोषण मुक्ति से लेकर साहित्य तक के सफर में डॉ. निरुपमा वर्मा के साथ कई कहानियां जुड़ी हैं। महिलाओं की मसीहा के तौर डॉ. निरुपमा ने कई बार आवाज बुलंद की और उनको हक दिलाया।
वस्त्र प्रदर्शनी से की थी शुरुआत
वर्ष 1983 में डॉ. निरुपमा वर्मा ने वामा संस्था का नींव रखी और शहर के लक्ष्मीबाई इंटर कॉलेज में शहर के प्रतिष्ठित स्कूल-कॉलेजों की सेवानिवृत्त शिक्षिकाओं को अपने साथ जोड़कर सिलाई-कढ़ाई से बनाए वस्त्र एकत्र कर प्रदर्शनी का आयोजन किया। इसके बाद उन्होंने तमाम प्रतियोगिता, शिविर के जरिए जागृति लाने का काम किया। गांवों में लोगों को कुपोषण और कन्या भ्रूण हत्या, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता जैसे मुद्दों का ज्ञान कराया। कई बार आंगनबाडिय़ों, आशा कार्यकर्ताओं की आवाज भी बनीं। पर्यावरण संरक्षण के कागज के थैलों का वितरण, नवरात्र में नवजात कन्याओं को बेबी किट का वितरण किया। अब निरुपमा साहित्य के क्षेत्र में उड़ान भर रही हैं। हाल ही में अणर्व कलश एसोसिएशन द्वारा मुंशी प्रेमचंद्र कहानीकार सम्मान, लघुकथाकार सम्मान, यात्रा वृतांत सम्मान, संस्मरण सम्मान मिले हैं। वर्ष 2003 में उनके कार्यों के लिए राज्य महिलाओं आयोग ने उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता के सम्मान से नवाजा। इसके बाद वर्ष 2013 में नई दिल्ली में उनको मदर टेरेसा शिरोमणि अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। डॉ. निरुपमा जिले में पीएनडीडीटी एक्ट और प्रोजेक्ट दीदी की सदस्य भी रही हैं। इसके साथ ही निरुपमा वर्मा ने अंगदान करने का संकल्प लिया है। जिले में समाजसेविका की पहल को आज भी सम्मान दिया जाता है।
आगे का इरादा : महिलाओं को समाज में पहचान दिलाना।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.