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कॉमिक्स से दूर कर रहीं उन दिनों की झिझक

Published - Fri 08, Mar 2019

अपराजिता स्टार्टअप की दुनिया की नई महारथी

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माहवारी की दिक्कतों, झिझक को यदि दूर करना है तो लड़के-लड़कियों दोनों को इसके लिए तैयार करना होगा। इसी उद्देश्य को लेकर अदिति गुप्ता ने मेन्स्ट्रुपीडिया स्टार्टअप की शुरुआत की। इस नाम से तैयार कॉमिक्स बेहद सुलझे हुए तरीके से उन पांच दिनों की झिझक तोड़ रही है।

मासिक धर्म की गलतफहमी माहवारी को लेकर झिझक , मां की टोका-टोकी से परेशान अदिति ने पहली बार इस बारे में अपने दोस्त से बात की थी। वही दोस्त बाद में जीवन साथी बना। अदिति बताती हैं कि जब मैंने पहली बार अपनी बात उससे कही थी तो लगा कि उन पांच दिनों का कितना बोझ लेकर पलती और बढ़ती हैं लड़कियां। बस यहीं से हुई एक अनूठी शुरुआत सारे मिथकों को तोडऩे की। अदिति ने तैयार की मेन्स्ट्रुपीडिया कॉमिक्स बुक्स। इसमें कुछ पात्रों के जरिए मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियां दूर की गई हैं। यह कॉमिक्स अब तक 11 भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी है। अदिति बताती हैं कि हम चार राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश सरकार ने तेलगु भाषा में किताब को 13 जिलों के 122 स्कूलों में बंटवाया है। अब तक हम पांच करोड़ बच्चियों तक पहुंच चुके हैं। स्पेनिश व नेपाली भाषा में किताब का प्रकाशन उरूग्वे, दक्षिण अमेरिका व नेपाल में हुआ। इसके अलावा दुनिया के 18 अलग-अलग देशों में भी किताब पहुंच चुकी है।

 'आज भी लड़कियां माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों का शिकार हैं। आने वाली पीढ़ी को ऐसा माहौल देना होगा जो स्वतंत्र सोच के साथ जी सके।'

अदिति गुप्ता
फाउंडर, मेन्स्ट्रुपीडिया, अहमदाबाद