दिल्ली पुलिस की हेंड कांस्टेबल सीमा ढाका ने तीन महीनों के अंदर 76 गुमशुदा बच्चों को ढूंढ निकाला। उनकी इस कामयाबी पर उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया है।
नई दिल्ली। देश और दुनिया में रोजाना लाखों बच्चें गुमशुदा होते हैं। इन बच्चों में आधे भी नहीं खोजे जाते। जो अपने परिवार तक पहुंच जाते हैं, वो खुशनसीब हैं, लेकिन जो बिछुड़ जाते हैं, वो ताउम्र परिवार से नहीं मिल पाते। लेकिन दिल्ली के समयपुर बादली थाने में तैनात महिला हेड कांस्टेबल सीमा ढाका ने परिवार से बिछड़े बच्चों को परिवार तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ओर 76 गुमशुदा बच्चों को परिवार तक पहुंचाया। उनके इस काम के लिए उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया है।
आउट-ऑफ टर्न प्रमोशन पाने वाली पहली महिला पुलिसकर्मी
सीमा ढाका ने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया और इसको लेकर वह आउट-ऑफ टर्न प्रमोशन पाने वाली दिल्ली की पहली महिला पुलिसकर्मी हैं। सीमा के लिए 19 नवंबर 2020 का दिन खुशियां लेकर आया, जब दिल्ली पुलिस मुख्यालय में सीमा की वर्दी पर स्टार लगाकर प्रमोशन के लिए उन्हें बधाई दी। सीमा ने कहा कि इतने दिन तक बना ब्रेक के काम करने का आज मुझे परिणाम मिल गया है। मैं इससे बेहद खुश हूं। गुमशुदा बच्चों को उनके माता-पिता के साथ फिर से मिलाना मुझे बहुत खुशी देता है। मुझे खुशी है कि पुलिस कमिश्नर ने मेरे काम को सराहा और पुरस्कृत किया। इससे दूसरों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
पुलिस आयुक्त ने की थी घोषणा
इस साल पांच अगस्त को पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव ने गुमशुदा बच्चों को खोजने के काम को प्रोत्साहित करने के लिए यह घोषणा की थी। इसके तहत कोई भी हेड कॉन्स्टेबल या कॉन्स्टेबल अगर एक कैलेंडर वर्ष में 14 साल से कम उम्र के न्यूनतम 50 लापता बच्चों को तलाश करेगा तो उसे आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जाएगा। हालांकि, इन 50 बच्चों में 15 बच्चों की उम्र आठ साल से कम होनी चाहिए। सीमा ढाका द्वारा बरामद किए गए बच्चे दिल्ली के विभिन्नथानाक्षेत्रों से गायब हुए थे और इन्हें बिहार, बंगाल एवं देश के अन्य हिस्सों से बरामद किया गया है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि अगस्त से अब तक पूरी दिल्ली में 1440 बच्चे बरामद किए जा चुके हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.