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बम-बंदूक भी नही डिगा पाए लड़कियों का हौसला

Published - Wed 19, May 2021

अफगानिस्तान में आतंकियों ने एक स्कूल के बाहर बम धमाका कर लड़कियों को पढ़ने से रोकना चाहा, लेकिन उनके नापाक इरादे भी लड़कियों को शिक्षा हासिल करने से नहीं रोक सके।

afgan school

नई दिल्ली। अफगानिस्तान के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। वहां के कट्टरपंथी इस्लामिक कानून लागू करना चाहते हैं। अपने इसी इरादे के चलते वो लड़कियों को शिक्षा से रोकना चाहते हैं। इसी इरादे से आतंकियों ने सैयद उल शहादा स्कूल के बाहर बम विस्फोट किया। ये धमाका उस समय हुआ जब लड़कियां छुट्टी होने पर घर जाने के लिए निकली थीं। धमाके में 80 लोगों की मौत हुई और 160 लोग घायल हुए। इस धमाके को मकसद लड़कियों को शिक्षा से रोकना था पर अफगानिस्तान की बेटियों ने आतंकियों को दिखा दिया कि वो शिक्षा चाहती हैं, किसी भी कीमत पर।
अफगानिस्तान में 1996 से 2001 तक तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगा दी थी। यहां रहने वाली फरजाना सैयद स्कूल में तीन बहनों के साथ पढ़ने जाती थीं और धमाके के बाद फंस गईं थीं। स्कूल जाने के अपने फैसले पर अडिग फरजाना ने ठान लिया था कि वे स्कूल जाएंगी और शिक्षा का साथ नहीं छोड़ेंगी, चाहें, उन्हें जान ही क्यों न देनी पड़े। फरजाना का कहना है कि वो इससे डरने या निराश होने वाली नहीं हैं। शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें किसी से क्यों डरना।
किसी भी कीमत पर चाहिए शिक्षा
ये केवल फरजाना की बात नहीं हैं। अन्य लड़कियां भी किसी भी कीमत पर शिक्षा प्राप्त करना चाहती हैं। साथ ही उनके माता-पिता भी बेटियों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। फरजाना के पिता हुसैन कहते हैं कि मेरी सात बेटियां हैं और मैं सभी को पढ़ाना चाहता हूं। उनका कहना है कि अफगानिस्तान में विदेशी सेना के कारण की लड़कियों की शिक्षा वापिसी हुई है। वहीं एक अन्य लड़की मोबिना का कहना है कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए हमें हथियार भी उठाने पड़े, तो हमें कोई परेशानी नहीं होगी। चार दशकों के युद्ध के बाद अफगानिस्तान की साक्षरता दर 43 प्रतिशत है, लेकिन सिर्फ 30 फीसदी महिलाएं ही साक्षर हैं।  ह्यूमन राइट्स वॉच में महिला अधिकार डिवीजन की अंतरिम सह-निदेशक हीथर बर कहती हैं कि कई माता-पिता हैं जो अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए बेताब हैं, लेकिन वे इस डर से अपनी इच्छा को मार देते हैं कि उनकी बेटी स्कूल जाएगी और घर नहीं लौटेगी। वहीं एक लड़की हमीदा को स्कूल जाते समय आतंकियों ने निशाना बनाया था, लेकिन वो बच गईं। हमले से हमीदा नवी डरी नहीं, उनका कहना है कि शिक्षा का उनका संकल्प अटल है। वह कहती है, "यह हमला अफगानिस्तान की नई पीढ़ी के खिलाफ था, वे नई पीढ़ी को अंधकार में धकेलना चाहते हैं लेकिन हम उज्ज्वल भविष्य की ओर जाएंगे।