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देश की करोड़ों महिलाओं के लिए मिसाल बनीं फाइटर प्लेन कंट्रोलर मिंटी अग्रवाल

Published - Thu 29, Aug 2019

15 अगस्त को महिला स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल को भी युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया। मिंटी को यह पुरस्कार बालाकोट स्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई संघर्ष के दौरान दिए गए उनके योगदान के लिए दिया गया है। इस घटना के दौरान मिंटी अग्रवाल ने फाइटर प्लेन कंट्रोलर की अहम जिम्मेदारी निभाई थी।

नई दिल्ली। 15 अगस्त को जब विंग कमांडर अभिनंदन को उनकी बहादुरी के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया तो वहीं, महिला स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल को भी युद्ध सेवा मेडल दिया गया। मिंटी को यह पुरस्कार बालाकोट स्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई संघर्ष के दौरान दिए गए उनके योगदान के लिए दिया गया है। इस घटना के दौरान मिंटी अग्रवाल ने फाइटर प्लेन कंट्रोलर की अहम जिम्मेदारी निभाई थी। वायुसेना की स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल ने इस सम्मान को प्राप्त कर देश की पहली महिला सैन्य अधिकारी बनने का गौरव हासिल किया है।

मिशन को कैसे दिया अंजाम
स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल से जब हमने पूछा कि फिल्मों में हम ऐसे सीन देखते हैं तो कैसे उन्होंने सचमुच के इस खतरनाक काम का अंजाम दिया। वह पहले तो मुस्कुराईं, फिर बताया कि जब हमने बालाकोट मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया तो उसके बाद से ही हमें इस बात का पूरा अंदेशा था कि पाकिस्तान की तरफ से जवाबी कार्रवाई की जाएगी और इसके लिए हम पहले से ही तैयार थे। हमारे पास रक्षा के लिए कुछ विमान पहले से ही थे और फिर जब पाकिस्तान की तरफ से कार्रवाई की गई तो हमने इन विमानों को भी मुकाबले के लिए उतार दिया। पाकिस्तानी लड़ाकू विमान हमले के इरादे से आए थे। लेकिन हमारे पायलटों, नियंत्रकों और टीम की कुशलता के चलते हमने उनका मिशन विफल कर दिया।
आईएफ स्क्वाड्रन लीडर ने बताया कि एफ16 की कमान विंग कमांडर अभिनंदन ने ली था। यह बहुत नाजुक स्थिति थी। दुश्मन के कई लड़ाकू विमान थे, लेकिन हमारे लड़ाकू विमानों ने डटकर उनका मुकाबला किया। मिंटी ने कहा- दुश्मन विमानों को सीमा पर आते देख मुझे लगा मानो इसी क्षण के लिए मैंने एयरफोर्स ज्वाइन की है और देश के लिए मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देना है। मैंने जब एयरफोर्स ज्वाइन की थी तभी मन में संकल्प लिया था कि किसी भी तरह की चुनौती के लिए मैं हर पल तैयार रहूंगी और 26 फरवरी 2019 को जब ऐसा वक्त हम पर आया तब मैं पूरी तरह से तैयार थी। मैं इस यूनिट की उत्तरी कमांड का नेतृत्व कर रही थी। 26 को एयर स्ट्राइक के बाद हम पूरी तरह सजग थे कि यदि पाकिस्तान की ओर से पलटवार किया गया तो उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे। हुआ भी यही।
27 की सुबह मैं अपने निगरानी कक्ष में तैनात थी। रडार स्क्रीन पर मैंने जल्द ही भांप लिया कि करीब 25 पाकिस्तानी लड़ाकू विमान हमारी ओर बढ़ रहे हैं। कुछ ही पलों में मैं आश्वस्त हो चुकी थी कि इनका रुख श्रीनगर की ओर है और हम पर हवाई हमला होने जा रहा है। मैंने तुरंत अलार्म दे दिया। सबसे पहले श्रीनगर में तैनात तीन युद्धक विमानों को दुश्मन विमानों की लोकेशन बताते हुए उनका रास्ता रोका गया। अन्य जगहों पर भी हमारे लड़ाकू विमान अलर्ट मोड में थे। उन्हें भी पाकिस्तानी विमानों की लोकेशन बताते हुए सहायक दिशानिर्देश दिए। कुछ ही पलों में दुश्मन विमानों और हमारे विमानों के बीच हवाई लड़ाई शुरू हो चुकी थी। हम उन पर भारी पड़े। हमारे लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तानी विमानों को बम गिराने का मौका न देते हुए खदेड़ना शुरू कर दिया।

बहादुर बिटिया ने सीना चौड़ा कर दिया
बताते चलें कि बीती 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने सीमापार एयर स्ट्राइक कर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था। इस अभियान में बतौर पाथ फाइंडर और फाइटर कंट्रोलर बेहद अहम भूमिका निभाने वालीं भारतीय वायुसेना की युवा स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल को आठ अक्टूबर को वायुसेना दिवस पर युद्ध सेवा मेडल प्रदान किया गया। यह गौरव हासिल करने वाली वह देश की पहली महिला बन गईं। मिंटी का परिवार हरियाणा के अंबाला शहर में रहता है। उनके पिता भी सेना में रहे हैं। रिटायर ऑनरेरी फ्लाइंग ऑफिसर रवींद्र अग्रवाल कहते हैं, ‘बिटिया ने मेरा सीना चौड़ा कर दिया है।’ वहीं भाई अरविंद ने भी बहन की सूझबूझ और मानसिक दृढ़ता की तारीफ की। मिंटी के पति राहुल ने कहा, मिंटी ने सभी को गर्व से भर दिया है। एक साक्षात्कार में मिंटी ने अपनी इस बहादुरी का श्रेय सास और भाभी को भी दिया। कहा कि उनके  प्रोत्साहन और सहयोग से ही मैं देश के लिए अपने दायित्व को सफलतापूर्वक निभा सकी। मिंटी ने भावुक होते हुए यह भी कहा कि काश, आज मेरी मां जीवित होतीं। यह सब देखकर उन्हें मुझ पर गर्व होता और वे बहुत खुश होतीं। बस यही मलाल है कि मां मुझे ऐसा करते नहीं देख पाईं।

युद्धक विमानों को दिशा-निर्देश देना जिम्मेदारी भरा काम
मिंटी ने बताया कि देश की हवाई सीमा की निगरानी फाइटर कंट्रोल यूनिट करती है। यह यूनिट निगरानी के साथ ही हवाई लड़ाई की स्थिति में रडार स्क्रीन पर एक-एक विमान की पॉजिशन और गतिविधि के अनुरूप त्वरित रणनीति तैयार कर अपने युद्धक विमानों को दिशानिर्देश देती है। मिंटी कहती हैं कि इस यूनिट का काम बेहद जिम्मेदारी और चुनौतीभरा होता है। उस दिन यूनिट की कमांड मेरे हाथ में थी।  एक तरफ मैं अपने पायलटों को दुश्मन विमानों की सटीक लोकेशन बता रही थी, ताकि दुश्मन पर जल्द काबू पाया जा सके। दूसरा, इससे पहले कि हमें दुश्मन कोई नुकसान पहुंचाए, उसे ढेर कर देने की रणनीति भी बनाना भी मेरे जिम्मे था। विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान अपने मिग-21 लड़ाकू विमान से दुश्मन के दो एफ-16 विमानों का पीछा कर रहे थे। मैं उन्हें दुश्मन विमानों की सटीक लोकेशन बता रही थी। जल्द ही वह क्षण आया जब मैंने कहा- टारगेट लॉक... हिट...। अभिनंदन ने मिसाइल दाग दी और पल भर में दुश्मन का विमान आग के शोलों में तब्दील हो गया। इसके बाद दूसरे विमान को निशाने पर लिया गया, लेकिन इस बीच अभिनंदन का विमान सीमा के पार जा पहुंचा। मैंने उन्हें वापस मुड़ने का संकेत दिया, पर ठीक उसी समय वे सीमा पार उस रेंज में प्रवेश कर गए, जहां जैमर लगे होने के कारण तकनीकी संपर्क टूट गया। कुल मिलाकर आधे घंटे से भी कम समय में हमने दुश्मन को खदेड़ दिया था, वह भी अपने इलाके में बिना कोई बड़ा नुकसान उठाए। पर हां, अभिनंदन से संपर्क टूट जाने के बाद मैं बहुत व्याकुल हो उठी थी।

मिंटी की कामयाबी पर गर्व
1990 में एयरफोर्स में पहले बैच की महिला ऑफिसर रिटायर्ड विंग कमांडर अनुपमा जोशी, मिंटी अग्रवाल को मिल रहे सम्मान से खुश हैं। कहती हैं, 'मिंटी की कामयाबी पर हमें नाज है। मिंटी की यह उपलब्धि दर्शाती है कि महिलाओं ने अपने निशान छोड़ने शुरू कर दिए हैं।'