मुंबई की अकांचा श्रीवास्तव वैसे तो ब्रांड स्ट्रेटेजिस्ट हैं, लेकिन कोरोना से अपने माता-पिता के बच्चों का जीवन बचाने के लिए सोशल आंत्रप्रेन्योर बनीं और एक हेल्पलाइन शुरू कर बच्चों की मदद कर रही हैं। उनकी कोशिश है कि कोरोना के कारण मां-बाप को खो चुके बच्चों को मानव तस्करी से बचाया जाए।
मुंबई। कोरोना की दूसरी लहर ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। भारत में इस लहर ने बहुत ही कहर बरपाया। परिवार के परिवार उजड़ गए और कई बच्चों ने ने तो अपने माता-पिता दोनों को खो दिया। अकेले रह गए बच्चों के सामने ये प्रश्न खड़ा हो गया कि अब उनका क्या होगा? अकेले रह गए कुछ बच्चे तो खुशकिस्मत हैं कि उनके रिश्तेदार उनकी मदद को आगे आए, लेकिन ऐसे बच्चों का क्या जिनकी मदद को किसी ने हाथ आगे नहीं बढ़ाया। इन बच्चों को गोद लेने के नाम पर बाल तस्कर सक्रिय हो गए। ऐसे में अकेले पड़ चुके बच्चों को मुसीबत से बचाने और उनकी शिक्षा व देखभाल के लिए अकांचा श्रीवास्तव आगे आईं और एक हेल्पलाइन शुरू की। इस रेस्क्यू हेल्पलाइन की मदद से वो अब तक 23 बच्चों को बचाकर रिहैबिलिटेट कर चुकी हैं।
कोरोना की दूसरी लहर में काफी संख्या में जान चली गईं। अस्पतालों से लेकर श्मशान तक हाहाकार मचा हुआ था। कहीं तो पूरा परिवार ही कोरोना की भेंट चढ़ गया, तो कहीं मासूमों के सिर से माता-पिता का साया ही उठ गया। मुसीबत की इस घड़ी में अकेले रह गए बच्चों के लिए कुछ के रिश्तेदारों ने हाथ आगे बढ़ाया, तो किसी की आंखों में अब तक मदद का इंतजार है। ऐसे अकेले बच्चों के पास न तो खाने को है, न कोई आर्थिक मदद है और न ही सिर पर किसी का हाथ है। इन बच्चों के अकेलेपन को देखते हुए बाल तस्कर अवैध तरीके से इन्हें गोद लेने की फिराक में लगे हैं। इन तस्करों की मनमानी रोकने और बच्चों को सहारा देने लिए मुंबई की अकांचा श्रीवास्तव ने एक हेल्पलाइन शुरू की। इस हेल्पलाइन का मकसद बच्चों के अपने साथ गलत करने और गलत हाथों में जाने से बचाना है।
समाज सेवा का जज्बा
अकांचा एक फाउंडेशन, आकांचा श्रीवास्तव फाउंडेशन भी चलाती हैं। इसमें बच्चों को रेस्क्यू करना, बाल तस्करी रोकना, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की जानकारी देना आदि कार्य किए जाते हैं। अकांचा का कहना है कि कोरोना महामारी में माता-पिता को खोने वाले बच्चे अकेले पड़ गए हैं। इनमें कुछ भाग्यशाली बच्चों की तो रिश्तेदार देखभाल कर रहे हैं, लेकिन किसी के पास अपना कोई नहीं है। इन बच्चों की देखभाल आर्थिक, सामाजिक मदद, बच्चों को अवसाद से निकालना, उनकी तस्करी रोकना, अवैध तरीके से बच्चों को गोद लेने के मामलों को रोकना उनका मकसद है। इस दिशा में उन्होंने बच्चों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया +91 7777030393। इन नंबर पर कई कॉल्स, मैसेज आए और बच्चों ने अपनी परेशानी टीम से साझा की। हेल्पलाइन पर आए कॉल के बाद टीम ने 23 बच्चों को बाल तस्करों के हाथों में जाने से बचाया। अकांचा की टीम ने कई ऐसे गिरोह को भी ट्रेप किया जो बच्चों को गोद लेने के नाम पर उनकी तस्करी करते हैं। टीम ने इन गिरोह की शिकायत भी की। बदले में उन्हें जान से मारने तक की धमकी दी गई। लेकिन बच्चों को गलत हाथों में जाने से रोकने के लिए डटीं अकांचा डरी नहीं। अकांक्षा कहती हैं कि मैं पीछे हटने वाली नहीं हूं। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कोई भी बच्चा शारीरिक, भावनात्मक या मानसिक रूप से प्रताड़ित न हो।"अकांचा की टीम क्राउड फंडिंग के माध्यम से बच्चों की शिक्षा व उन्हें सक्षम बनाने, तकनीकी सहायता, चिकित्सा और अन्य आवश्यकताओं के माध्यम से सहायता प्रदान करना आदि पर भी काम कर रही है। उनका मकसद पेशेवरों के माध्यम से इन बच्चों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्राप्त कराना भी है।
साइबर अपराधों से लड़ने की भी कोशिश
आकांचा अगेंस्ट हैरेसमेंट के माध्यम से अकांचा साइबर अपराधों को रोकने की दिशा में भी काम कर रही हैं। देखा जाता है कि साइबर अपराध का शिकार होने के बाद पीड़ित जानकारी के आभाव में चुपचाप बैठ जाता है और अपराधियों के हौसले बुलंद रहते हैं। ऐसे में पीड़ितों की मदद करने, साइबर अपराधों को रोकने के लिए उन्होंने 2017 में ब्रांड स्ट्रेटेजिस्ट की नौकरी छोड़ने के बाद अपनी संस्था की स्थापना की। इस संस्था ने अब तक 29 से ज्यादा शहरों में 300 से अधिक वर्कशॉप आयोजित की हैं। साथ ही उनकी संस्था साइबर अपराधों का शिकार हो चुके लोगों को कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराती है। इसके लिए उनकी संस्था एक हेल्पलाइन भी चलाती है। उन्होंने एक चैटबॉट भी लांच किया है Haptik। जो यूजर्स को गुमनाम रूप से अपनी शिकायतों को साझा करने का मंच प्रदान करता है। चैटबॉट डेवलप करने वाली कंपनी Haptik ने इसके पीछे मजबूत सामाजिक कारण के लिए Google का 'AI for Social Good' पुरस्कार भी जीता। साइबर अपराधों को रोकने के लिए उनकी संस्था साइबरबुलिंग, साइबरस्टॉकिंग, साइबर ग्रूमिंग, साइबर और रिवेंज पोर्नोग्राफी, मॉर्फिंग, वायूरिज्म और धोखेबाज आदि पर नजर रखती है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.