रायपुर की कस्तूरी बल्लाल को क्षेत्र में हर कोई पहचानता है। कोई भी जख्मी जानवर दिखे, तो लोग सबसे पहले कस्तूरी को सूचित करते हैं। कस्तूरी बीमार व घायल पशुओं का इलाज करने वाली एक ऐसी लड़की हैं, जो मानती हैं कि जानवरों को भी इंसान के बराबर जीने का हक है।
रायपुर में एक सामान्य परिवार में पैदा हुई कस्तूरी को बचपन से ही पशुओं से प्रेम था। उनके घर एक पालतू कुत्ता भी था। जिसे घुमाने वे अक्सर बाहर ले जाया करती थीं। इस दौरान प्रकृति और पशुओं से उनकी दोस्ती और गहरी होती गई। इसी बीच मानसी ने इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया। कॉलेज पूरा करने के बाद उनकी इंजीनियर की नौकरी भी लग गई। नौकरी के कारण वह जानवरों को समय नहीं दे पा रही थीं, इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। कस्तूरी ने तय किया वो जख्मी और लावारिस जानवरों की सेवा करेंगी। बचपन में जानवरों के प्रति उनकी इस संवेदना को देख कर उनके दादाजी उन्हें अक्सर मेनका गांधी को चिट्ठी लिखने के लिए कहा करते, तो वह भी उन दिनो मेनका जी को खूब चिट्ठियां लिखती रहती थीं। वर्ष 2013 में उनको मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल्स एवं उनके कार्यों के बारे में पहली बार पता चला था। कस्तूरी भी इससे जुड़ गईं और उन्होंने जानवरों की सेवा शुरू की। पिछले पांच वर्षों में कस्तूरी सौ से अधिक लोगों को पीएफए से जोड़ चुकी हैं। उनकी ही मदद से वह अब तक 3500 से भी अधिक जानवरों को रेस्क्यू कर के सफलता पूर्वक उनका इलाज व ऑपरेशन करा चुकी हैं। इसी तरह वह अवेयरनेस के लिए 'मिशन जीरो' का भी नेतृत्व कर रही हैं। 'मिशन जीरो' की ओर से जानवरों के प्रति क्रूरता बरतने वालों को टारगेट कर उन्हे उदारता बरतने का प्रशिक्षण दिया जाता है। स्कूलों में बच्चों को बताया जाता है कि वे राह चलते जानवरों को बेवजह परेशान न किया करें। पुलिस को उनके अधिकारो के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है कि कैसे क्रूरता करने वालों पर कानून के तहत एक्शन लिया जाए। इस मिशन के तहत ही पीएफए संगठन अब तक सैकड़ो भारतीय नस्ल के श्वानों को गोद ले चुका है। पीएफए उनके नेतृत्व में समय समय पर पप्पी एडाप्शन कैंप आयोजित करता रहता है। कस्तूरी ने हजारों जानवरों का रेस्क्यू तो किया ही है, इस समय उनके घर में 55 जख्मी कुत्ते रहते हैं। घायल जानवरों की हिफाजत के लिए अस्पताल खोलने के लिए राज्य सरकार ने कस्तूरी को चंदखुरी में तीन एकड़ जमीन भी आवंटित कर दी है, जिसकी रजिस्ट्री का खर्च स्वयं मेनका गांधी ने चुकाया है। रायपुर के लोग उनको कराहते बेजुबान प्राणियों का मसीहा कहते हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.