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करियर छोड़ बच्चों का भविष्य संवारने निकलीं अनुक्षी मित्तल

Published - Sun 01, Mar 2020

दिल्ली की अनुक्षी मित्तल ने अपने करियर की चिंता न कर साधनों के आभाव में रहने वाले गरीब बच्चों के लिए काम करने को चुना। आज वो गरीब बच्चों को जिम्मेदार और जागरूक बना रही हैं।

ankushi mittal

नई दिल्ली। 22 साल की अनुक्षी मित्तल मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं। उन्होने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई बोर्डिंग स्कूल ‘मेयो कॉलेज गर्ल्स स्कूल’ अजमेर से की है। उसके बाद दिल्ली के हिन्दू कॉलेज से अंग्रेजी में स्नातक किया। अपने कॉलेज के आखिरी साल में उन्होने टीच फॉर इंडिया फैलोशिप के लिए आवेदन किया। इस फैलोशिप के तहत दो साल के लिए टीचर के तौर पर सरकारी स्कूल में आने वाले गरीब बच्चों को पढ़ाना होता है। अनुक्षी साल 2015 से अहमदाबाद के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहीं हैं। ये बच्चे वाहिनी गंगा कम्यूनिटी से आते हैं, जो किमुस्लिम बहुल इलाका होने के साथ साथ काफी पिछड़ा और गरीब है। वो प्राइमरी क्लास के बच्चों को ना सिर्फ अंग्रेजी और गणित जैसे विषय पढ़ाती हैं, बल्कि उनको इस काबिल बनाती हैं कि वो ये समझ सकें कि उनके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा।

मां से मिली प्रेरणा
अनुक्षी बचपन में जब मां के साथ अस्पताल जाती थीं, तो वहा गर्भवती महिलाओं को देखतीं। उनकी मां उन्हें बतातीं कि अशिक्षा के कारण इनके पांच से ज्यादा बच्चे हैं और ये अपना इलाज भी सही से नहीं करा पाती हैं। जब वो अपनी मां से इस समस्या का समाधान पूछती थी तो उनकी मां कहती कि शिक्षा ही इसका समाधान है। बचपन में ही अनुक्षी ने ठान लिया कि वो गरीब व असहाय बच्चों को शिक्षित करने के लिए काम करेंगी। अनुक्षी ने जब इन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया तो उस वक्त इन बच्चों को ये भी पता नहीं था कि स्कूल होता क्या है? क्योंकि ये बच्चे पहली बार स्कूल आये थे। इस कारण 6 महीने अनुक्षी को इन बच्चों को ये सीखाने में लग गये कि इस स्कूल में कैसे बैठा जाता है? कैसे बात की जाती है? उसके बाद उन्होने इन बच्चों को अंग्रेजी और गणित जैसे विषय पढ़ाना शुरू किया। उन्होने इन बच्चों को पढ़ाने के लिये वीडियो और दूसरी चीजों का सहारा लिया।

बच्चों के लिए खोली लाइब्रेरी
इतना ही नहीं जिस स्कूल में वो बच्चों को पढ़ाने का काम करती हैं वहां पर वो एक खास तरह की लाइब्रेरी बनाना चाहती हैं जहां पर इन बच्चों से जुड़ी ढे़र सारी किताबें हों। इसके लिए वो फंड जुटाने का काम कर रही हैं। उन्होने 30 हजार रुपये जुटाने के लिए एक कैंपेन की मदद ली और 1 हफ्ते में ही उनके दोस्तों और रिश्तेदारों ने उनके इस लक्ष्य को पूरा कर दिया। इस फंड से वो अपनी क्लास में एक खूबसूरत सी लाइब्रेरी बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस लाइब्रेरी में कम सेकम 200 किताबों रखी जाएंगी। अनुक्षी कहती हैं कि वो 1 साल के बाद यहां से चली जायेंगी, लेकिन जो भी टीचर इन बच्चों को पढ़ाने आयेंगे वो इस लाइब्रेरी का इस्तेमाल बच्चों को पढ़ाने के लिए कर सकेंगे।