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अपराजिता : परिवार चलाने के साथ-साथ खुद का कारोबार भी जमाया

Published - Sat 29, Aug 2020

ताजनगरी आगरा में गृहस्थी को संभालने वाली महिलाओं ने खुद को कारोबार में भी स्थापित करके दिखाया है। परिवार की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही बाजार की नब्ज को पकड़ा और हौसले के दम पर कारोबार जमा लिया।

ताजनगरी आगरा में गृहस्थी को संभालने वाली महिलाओं ने खुद को कारोबार में भी स्थापित करके दिखाया है। परिवार की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही बाजार की नब्ज को पकड़ा और हौसले के दम पर कारोबार जमा लिया। किसी ने घर में ही कारोबार शुरू किया तो किसी ने प्रदर्शनी में स्टॉल लगाकर। कोई खुद ही चॉकलेट बनाकर बेचती हैं तो कोई अपने हस्तशिल्प का हुनर दिखा रही हैं।

1. पति की मौत ने तोड़ा, हौसले से फिर खड़ी हुई

निकिता जैन, ज्वैलरी विक्रेता, 

मैंने 2009 में प्रदर्शनी में पहली बार स्टॉल लगाई। हाथ से बनी कोलकाता की ज्वेलरी को लोगों ने खूब पसंद किया। एक कंपनी की फ्रेंचाइजी लेकर ज्वेलरी की बिक्री का काम शुरू किया। परिवार और कारोबार दोनों के बीच सामंजस्य बैठाना बहुत मुश्किल हुआ। इसके बाद 2013 में अपना शोरूम खोला। इसी बीच पति की मृत्यु हो गई। लेकिन इस विकट परिस्थिति में खुद को संभाला और अपने कारोबार को जमा लिया। -निकिता जैन, ज्वैलरी विक्रेता

2. कारीगर न मिलने पर बंद करना पड़ा था काम

सोनू मित्तल, स्नैक्स विक्रेता,  सिकंदरा

तीन साल पहले मैंने घर से मठरी और सांखें बनानी शुरू की तो ऑर्डर मिलने लगे लेकिन कारीगर नहीं मिल रहे थे। इस कारण खुद ही दिनभर लगी रहती, सात से आठ किलो तक माल तैयार करती। इसके बाद ऐसा भी समय आया जब 15 दिन काम बंद रखना पड़ा। तब मेरी हिम्मत ने जवाब दे दिया तो परिवार ने हौसला बढ़ाया। कारीगर भी मिल गए। अब आगरा के साथ ही दिल्ली, गुरुग्राम तक इनकी सप्लाई हो रही है। -सोनू मित्तल, स्नैक्स विक्रेता

3. शुरुआत में काम नहीं चला धीरे-धीरे मिली पहचान 

आरती शर्मा चॉकलेट मेकर, भावना एस्टेट 

मैंने बेटी की ख्वाहिश पर चॉकलेट बनाना सीखा। धीरे-धीरे इसमें इतनी निपुण हो गई कि चॉकलेट के लिए लोग मुझे पहचानने लगे। इसी को कारोबार बना लिया। वर्ष 2016 में दीवाली मेले में चॉकलेट की पहली स्टॉल लगाई।  शुरू में कारोबार नहीं चला लेकिन धीरे धीरे पहचान बनी और ऑर्डर मिलना शुरू हो गए। शुरुआती दिनों में मेरा ध्यान सिर्फ चॉकलेट के स्वाद पर था। फिर पैकिंग, सजावट पर ध्यान दिया। इसके लिए इंटरनेट से मदद ली। -आरती शर्मा चॉकलेट मेकर

4. हंसी उड़ाते थे लोग  परिवार ने दिया हौसला

अनुष्का वर्मा,  क्राफ्ट आर्टिस्ट, सूर्यनगर

जब मैंने अपने हुनर को क्राफ्ट के रूप में आकार देना शुरू किया तो लोग मेरी हंसी उड़ाते थे। तीन साल से हैंडमेड कार्ड, फेस्टिवल गिफ्ट, पैकिंग, राखी आदि बना रही हूं। लड़कियों को घर में इसे बनाने की निशुल्क क्लास देती हूं। प्रदर्शनी में स्टॉल लगाती हूं। मैंने लोगों की परवाह नहीं की। परिवारवालों ने मेरा हौसला बढ़ाया। मैंने अब सोशल मीडिया पर अपने सामानों की बिक्री करनी शुरू कर दी है। -अनुष्का वर्मा, क्राफ्ट आर्टिस्ट

5. प्रदर्शनी लगाकर काम की शुरुआत की

रीता, किट विक्रेता, जयपुर हाउस

कोलकाता से जब मैं आगरा आईं तो मार्केट की जरूरत को समझा। 2005 में कोलकाता से कवर मंगाने शुरू किए। शुरुआती दिनों में आगरा के मार्केट को समझने में काफी परेशानी हुई। कोलकाता से माल लेने के लिए अकेले सफर करना पड़ता था। अग्रवाल सेवा सदन, कमलानगर में प्रदर्शनी लगाकर काम की शुरुआत की। कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, नागपुर आदि से ऑर्डर मिलना शुरू हो गए। मैं धीरे-धीरे काम को आगे बढ़ाती रही। -रीता, किट विक्रेता

पूंजी जुटाने से लेकर बाजार ढूंढने तक में आई मुश्किल 

महिला कारोबारियों के सामने हर कदम पर चुनौती आई। कारोबार शुरू करने के लिए पूंजी नहीं थी, यह भी नहीं मालूम था कि माल कहां से लाना है। इन्हें बेचना भी आसान नहीं था क्योंकि पहले से प्रतिस्पर्धा चल रही थी। लेकिन हौसला नहीं खोया, हर मुश्किल का सामना किया और मुकाम हासिल किया।

आर्टिफिशियल ज्वेलरी का अलग बाजार नहीं

कोलकाता से ज्वेलरी लाना और फिर उसे बेचना आसान नहीं है। चुनौती यह आई कि बेचे कैसे? क्योंकि इसका कोई अलग से बाजार नहीं है। ऑर्डर पर माल सप्लाई करना होता है। फिरोजाबाद, दिल्ली और मथुरा से ऑर्डर मिलने लगे। अब दिक्कत थी सप्लाई की। मेरे पास संसाधन नहीं थे लेकिन धीरे-धीरे सब जुटाए। पूरी टीम तैयार की। काम चल निकला।   - निहारिका

आलोचना को प्रशंसा में बदला

किट और बैग बेचने का काम है। 2017 में दुकान शुरू की थी। अब काम बढ़ चुका है। शुरू में लोग कहते कि यह महिलाओं का काम नहीं है। तुम्हें ब्यूटी पार्लर खोलना चाहिए था। मेहनत की और आगरा क्लब, अग्रवाल सेवा सदन, रोजविला, कोठी मीना बाजार में होने वाली प्रदर्शनी में स्टॉल लगाए। काम चला तो लोगों के बोल बदले। जो लोग आलोचना करते थे, वे प्रशंसा करने लगे।  - रीता 

गुणवत्ता में सुधार करती रही

मठरी बनाने का काम जब मैंने शुरू किया तो प्रतिद्वंद्वी कम थे। बहुत कम लोग यह काम करते थे। मुझे शुरू में परेशानी नहीं आई। बाद में कई बड़े लोग यह काम करने लगे हैं। उनके पास पूंजी, संसाधन अधिक थे लेकिन मैंने हार नहीं मानी। गुणवत्ता को और बेहतर किया और बाजार में टिकी रही। महिला कारोबारी के लिए प्रतिस्पर्धा में टिकने का एक ही मंत्र है गुणवत्ता। - सोनू मित्तल 

तानों की परवाह नहीं की

मैंने चाकलेट बनाने का काम शुरू किया तो लोगों ने ताने मारे। कहते थे कि यह महिला के वश का काम नहीं है। कारोबार कोई हंसी-खेल नहीं है। मैंने परवाह नहीं की। परिवार का साथ मिला, कारोबार पर फोकस किया। धीरे-धीरे काम बढ़ता गया। शादियों में चॉकलेट तैयार करने के ऑर्डर मिलने लगे। काम चल निकला तो उन्होंने भी प्रशंसा की जो कभी ताने मारते थे।  - आरती शर्मा 

 हस्तशिल्प का बड़ा प्लेटफार्म नहीं 

आज लोग चीन के सामान का बहिष्कार कर रहे हैं तो भारतीय हस्तशिल्प की ओर रुझान बढ़ा है। दो साल पहले तक भी यह स्थिति नहीं थी। हस्तशिल्प को प्रशंसा तो मिलती लेकिन बिक्री का प्लेटफार्म नहीं। मैंने काम शुरू किया तो यही दिक्कत आई। ताज महोत्सव या कोठी मीना बाजार में होने वाले आयोजनों का इंतजार करना पड़ता। आर्ट और हैंडीक्राफ्ट की ट्रेनिंग के लिए शहर में कोई संस्थान नहीं था।  -अनुष्का वर्मा