प्रशिक्षण के बाद अपना व्यवसाय शुरू करने की दी प्रेरणा
मुरादाबाद। अमर उजाला के अभियान अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत गुरुवार को सिंडिकेट ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान पर महिलाओं को वित्तीय जानकारी प्रदान की गई। वक्ताओं ने कहा कि महिलाएं न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर बनें, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार के अवसर बनाएं। इसके साथ ही नारी अस्मिता की रक्षा के लिए संकल्प लिया।
मुख्य अतिथि अग्रणी जिला प्रबंधक सतीश कुमार गुप्ता ने कहा कि शिक्षित होने के साथ महिलाओं हुनरमंद होना चाहिए। वर्तमान के प्रतिस्पर्धा के युग में प्रथम उद्देश्य महिलाओं को कौशल युक्त बनाना है। इस तरह से हम आर्थिक और सामाजिक विकास कर सकते हैं। महिलाओं ने जो सीखा है, उसके माध्यम से वह अपने परिवार को आगे बढ़ा सकती हैं। यदि महिलाएं व्यवसाय शुरू करती हैं तो वह दूसरों को रोजगार दे सकती हैं। बैंक भी ऋण के रूप में मदद करती हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को .5 प्रतिशत की कम दर पर ऋण मिलता है। समूह के माध्यम से ऋण लेने पर दो बच्चों के स्कूल की फीस बैंक देती है और महिलाओं का बीमा भी किया जा रहा है। निदेशक डॉ. विपिन कुमार तोमर ने बताया कि घर में रहकर भी आत्मनिर्भर बना जा सकता है। इसके लिए मजबूत दृढ़ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है। वह किसी भी हुनर को आय का जरिया बना सकती हैं। इंटरनेट आ जाने से अवसरों को खोजना आसान हो गया है। प्रशिक्षिका सरिता भटनागर ने बताया कि महिलाओं को खुद से प्रेम होना चाहिए, क्योंकि इससे उत्साह बढ़ता है और आगे बढ़ने की ललक पैदा होती है। किसी भी क्षेत्र को अपनाएं तो उसके विषय में पूरी जानकारी होनी चाहिए। इसके बाद ही हम दूसरों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। प्रशिक्षण के बाद खुद का व्यवसाय कर रही महिलाओं ने अपने अनुभव सुनाकर दूसरी महिलाओं को प्रेरित किया। इस दौरान हसीनजहां, शीला, सुमित, कमल, ज्योति, रविता आदि मौजूद रहीं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.