सुषमा स्वराज की पहचान अच्छी वक्ता, संस्कृत के विद्वान के रूप में रही, 20 वर्ष की उम्र में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू कर चुकी थीं पूर्व विदेश मंत्री
सुषमा स्वराज की पहचान अच्छी वक्ता और कुशल राजनेता के साथ साथ देश की सबसे कम उम्र की मंत्री बनने की भी रही। वर्ष 1977 में वह महज 25 वर्ष की उम्र में हरियाणा में कैबिनेट मंत्री बनीं। साथ ही संस्कृत में उनके कौशल को भी मान दिया जाता था।
उनका जन्म 1953 में अंबाला में हुआ। यहां उनके पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य थे। मां लक्ष्मी देवी को भी सामाजिक कार्यों की वजह से जाना जाता था। 2015 में विदेश मंत्री के तौर पर पाकिस्तान के दौरे में नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज से बातचीत के दौरान उन्होंने खुलासा किया था कि उनका परिवार मूलत: लाहौर के निकट धरमपुरा का रहने वाला था। सुषमा ने अंबाला कैंट में सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत और राजनीति शास्त्र में डिग्री हासिल की। चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी से उन्होंने वकालत की पढ़ाई की। इस दौरान उन्होंने लगातार तीन वर्ष हरियाणा में होने वाले राज्य स्तरीय हिंदी वक्ता अवार्ड जीत कर अपनी प्रतिभा का संकेत दे दिया। पढ़ाई पूरी होने के बाद वे 1973 में मात्र 20 वर्ष की उम्र में सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगीं।
ट्विटर पर हाजिरजवाबी के कारण हुईं लोकप्रिय
एक व्यक्ति ने पूछा, आप नहीं आपका पीआर ट्वीट करता है तो जवाब दिया : मैं ही हूं, मेरा भूत नहीं है
विदेश मंत्री रहते लोगों की समस्याओं से इस तरह जुड़ी रहीं किएक ट्वीट मात्र से लोगों की समस्याएं सुलझा देती थीं। इन समस्याओं को धैर्य से सुनने और उन्हें हल करने के कारण वह काफी लोकप्रिय हो गईं। वह खास से आम सभी को फौरन जवाब देती थीं। कई बार लोगों को यकीन ही नहीं होता था कि वह खुद जवाब दे रही हैं।
पिछले साल एक व्यक्ति ने उनके लिए लिखा कि निश्चित रूप से सुषमा खुद ट्वीट नहीं करतीं। उन्होंने कोई पीआर रखा हुआ है, जो उनके ट्वीट करता है। इसके जवाब में सुषमा ने कहा, आप निश्ंिचत रहें। यह मैं ही हूं, मेरा भूत नहीं है। उन्हें पिछली मोदी सरकार की सबसे सक्रिय मंत्रियों में से एक माना गया।
इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान एक यूजर ने सवाल किया था कि हमें लगा कि आप हमारी विदेश मंत्री हैं। भाजपा में एकमात्र सबसे समझदार। आप खुद को चौकीदार क्यों बुलाती हैं?
सुषमा ने जवाब दिया कि मैंने अपने नाम के आगे इसलिए चौकीदार लगाया है, क्योंकि मैं विदेशों में भारतीय हितों और भारतीय नागरिकों की चौकीदारी कर रही हूं।
जब की पाकिस्तानी की मदद
11 अक्तूबर 2017 को एक पाकिस्तानी महिला नीलिमा गफ्फार का भारत में इलाज के लिए वीजा जारी कराया। महिला के पति ने उनसे वीजा मंजूरी का अनुरोध किया था। सुषमा ने जवाब दिया, हम भारत में उनके इलाज के लिए वीजा दे रहे हैं।
मोदी सरकार के लिए की थी प्रार्थना
प्रधानमंत्री जी, आपने 5 वर्षों तक मुझे विदेश मंत्री के तौर पर देशवासियों और प्रवासी भारतीयों की सेवा करने का मौका दिया। पूरे कार्यकाल में व्यक्तिगत तौर पर भी बहुत सम्मान दिया। मैं आपके प्रति बहुत आभारी हूं। हमारी सरकार बहुत यशस्विता से चले, प्रभु से मेरी यही प्रार्थना है।
पति ने कहा था, आप 41 साल से चुनाव लड़ रही हैं
सुषमा स्वराज की इस साल चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद उनके पति ने कहा कि एक समय के बाद मिल्खा सिंह ने भी दौड़ना बंद कर दिया था। आप तो पिछले 41 साल से चुनाव लड़ रही हैं।
लंबे समय तक रहीं डी-फोर का हिस्सा
सुषमा राजनीति में 25 बरस की उम्र में आईं थीं। उनके राजनीतिक गुरु लालकृष्ण आडवाणी रहे। एक समय भाजपा के पुरोधा अटल-आडवाणी की जोड़ी का भरपूर स्नेह मिला तो मौजूदा दौर में मोदी-शाह की जोड़ी के भी बेहद करीब रहीं। एक समय था, जब भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सुषमा और प्रमोद महाजन सबसे लोकप्रिय वक्ता थे। संसद से लेकर सड़क तक उनकी गिनती भाजपा के डी (दिल्ली)-फोर में होती थी। उनके अलावा बाकी तीन प्रमोद महाजन, अरुण जेटली और वेंकैया नायडू थे। 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनका कार्यकाल सर्वश्रेष्ठ था।
पीएम पद की दावेदार, 11 बार लड़ीं चुनाव
नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उनका नाम भाजपा में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों में मजबूती से चला। अपने सहज स्वभाव से विरोधियों को निरुत्तर कर देने की उनकी क्षमता के कारण विपक्षी दलों में भी उनके दोस्तों कमी नहीं रही। पिछले चार दशकों में उन्होंने 11 चुनाव लड़े।
केंद्र में मंत्री बनीं तो फिल्म निर्माण को दिलाया उद्योग का दर्जा
सुषमा स्वराज 1990 में राज्यसभा सदस्य के तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में आईं। यहां छह वर्ष रहने के बाद 1996 में दक्षिण दिल्ली से सांसद चुनी गईं। 1998 में ही उन्होंने मंत्री रहते हुए फिल्म निर्माण को उद्योग का दर्जा दिया, जिससे फिल्म बनाने के लिए बैंक लोन मिलने लगे।
सोनिया के सामने मुकाबला, कन्नड़ में दिए भाषण
13वीं लोकसभा के चुनाव के लिए भाजपा को बेल्लारी सीट पर लड़ रहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुकाबले के लिए योग्य प्रत्याशी नहीं मिल रहा था। ऐन समय पर सितंबर 1999 में उन्हें यहां चुनाव में उतारा गया। अपने प्रचार केलिए उन्होंने कन्नड़ में भाषण दिए। वे हार जरूर गईं, किंतु मात्र 12 दिन के चुनाव प्रचार के बावजूद उन्हें साढे़ तीन लाख से अधिक वोट मिले।
विदेशी मंत्री के तौर पर अलग पहचान मिली
2014 में विदिशा से सांसद बनने और देश में भाजपा की जीत के बाद उन्हें सरकार में विदेशी मंत्रालय दिया गया। यहां पांच वर्ष के दौरान उन्होंने विदेशों में मुश्किल हालात में फंसे भारतीयों को तत्काल मदद के लिए व्यवस्थाएं विकसित की। ट्विटर पर की जाने वाली मदद की अपील पर भी वे सक्त्रिस्य होकर सहायता मुहैया करवातीं। इसने उन्हें एक बेहद लोकप्रिय मंत्री के तौर पर स्थापित किया।
सुषमा स्वराज जीवन परिचय
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
जन्म 14/02/1952
जन्म स्थान अंबाला कैंट
शिक्षा बी.ए. एलएलबी
पति का नाम स्वराज कौशल
बच्चे 1 पुत्री
पिता का नाम हरदेव शर्मा
माता का नाम लक्ष्मी देवी
विदेश मंत्री (26 मई 2014)
पेशा सुप्रीम कोर्ट में वकालत (1973 में शुरुआत)
1970 में छात्र नेता के रूप में राजनीति में प्रवेश
करिश्माई वक्ता और नई पीढ़ी की नेता मानी जाने वाली सुषमा स्वराज ने वर्ष 1970 में छात्र नेता के रूप में भारतीय राजनीति में अपनी शुरुआत की थी। जनता पार्टी में शामिल होने के बाद आपातकाल के खिलाफ सक्रिय रूप से भाग लिया था। दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और बाद में विपक्ष की पहली महिला नेता का पद मिला। 1977 में पहली बार विधानसभा के लिए चुनी गई थीं। 1977 से 1979 के बीच सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे आठ पद संभाले।
अप्रैल 1990 : राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं।
1996 : अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तेरह दिन की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री के रूप में लोकसभा कार्यवाही का सीधा प्रसारण शुरू कराया था।
21 दिसंबर 2009 को सुषमा स्वराज विपक्ष की पहली महिला नेता बनीं और लालकृष्ण आडवाणी के बाद यह पद ग्रहण किया।
26 मई 2014 : भारत सरकार में विदेश मंत्री बनीं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.