राजस्थान के जनजाति क्षेत्र में 600 महिलाओं का संगठन बनाकर चलाई मुहिम, - कॉप-14 में ‘महिला समानता का अधिकार’ मुद्दे पर विशेषज्ञ वार्ता में शामिल हुईं लवली
राजस्थान के सिरोही जिले के जनजाति क्षेत्र की रहने वाली लवली और शन्नोबाई ने 600 महिलाओं का संगठन बनाया और घटते वन क्षेत्र में पौधे लगाने की मुहिम चलाई। इस मुहिम से न केवल वन क्षेत्र बचा बल्कि हजारों लोगों का पलायन रुका और उनका रोजगार भी कायम रहा। इंडिया एक्सपो मॉर्ट में आयोजित हुए कॉप-14 (संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण से सामना) सम्मेलन में ‘महिला समानता का अधिकार’ मुद्दे पर विशेषज्ञ वार्ता में लवली ने अपनी मुहिम लोगों के बीच साझा की।
सम्मेलन में लवली ने बताया कि उसके क्षेत्र के लोगों का जीवन वनों (विशेषकर तेंदू पत्ता) पर आधारित है। क्षेत्र में गिरते वन क्षेत्र के चलते वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उन्हें वन में जाने नहीं देते थे। छह सौ महिलाओं ने संगठन बनाकर पहले तो इसका विरोध किया। बाद में स्वयं पानी बचाने और वन क्षेत्र का दायरा बढ़ाने के लिए पौधे लगाने की मुहिम में जुट गई। लवली ने बताया कि वर्षा का जल संचयन करने के लिए छोटी-छोटी बाड़ियां और हौदी (पानी इकट्ठा करने का स्थान) बनाए गए। मिट्टी का कटान रोकने के लिए पौधों के आस-पास पत्थर लगाए। पौधे लगाकर क्षेत्र को हरा-भरा बनाया गया।
इसके अलावा महिला संगठन ने शराब के खिलाफ आंदोलन चलाया और पीड़ित महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए प्रदर्शन और आंदोलन किए। जिले में मुहिम चलाकर विधवा औरतों को उनके पति की संपत्ति में पूरा हक दिलाया। लवली ने हाल ही में पंचायत चुनाव में भी हिस्सा लिया, हालांकि वह महज 15 वोट से हार गईं। उनका कहना है कि हारने के बाद भी वह निरंतर संगठन के कार्य में लगी हैं। आज संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य संस्थाओं ने उन्हें अपने मंच पर स्थान दिया है।
संघर्ष के बाद मिला उचित स्थान
महिला लैंगिक समानता पर उनका कहना है कि वैसे तो विश्वभर में महिलाओं को दोयम दर्जा ही दिया जाता है। उन्हें भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन कुछ समय बाद जब महिलाओं को उनका हक और उचित स्थान मिलने लगा। यहां तक कि शन्नोबाई एक कार्यक्रम के लिए अमेरिका और लवली आस्ट्रेलिया जा चुकी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.