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पहाड़ पर पहाड़ सी जिंदगी काट रहे बुर्जुगों के जीवन में रोशनी करती ज्योति

Published - Tue 10, Sep 2019

पहाड़ की बेटी ज्योति रौतेला ने 'मिशन मेरा गांव' नाम से एक अभियान शुरू किया। उत्तराखंड के लैंसडाउन में चलने वाले इस अभियान में ज्योति ने ओल्ड एज होम बनाए हैं, जहां वो बेसहारा बुर्जुगों को सहारा दे रही हैं।

jyoti rautela

उत्तराखंड के पहाड़ों पर हरियाली और मन मोहन वाली प्रकृति छटा तो हैं, लेकिन पहाड़ पर रोजगार न के बराबर है और यहां जीवन काटना बेहद मुश्किल है। खासकर उम्र का एक पूरा पड़ाव पार कर चुके बुर्जुगों के लिए तो पहाड़ पर दो जून की रोटी का इंतजाम करना बेहद मुश्किल चुनौती है। रोजगार के लिए यहां के युवा पहाड़ को छोड़कर दूर जा चुके हैं और पहाड़ पर अकेले और बेसहारा रह गए बुर्जुगों के लिए मुसीबतें कम नहीं है। अकेले और बेसहारा बुर्जुगों की इसी तकलीफ को देखते हुए पहाड़ की एक बेटी ज्योति रौतेला ने 'मिशन मेरा गांव' नाम से एक अभियान शुरू किया। उत्तराखंड के लैंसडाउन में चलने वाले इस अभियान में ज्योति ने ओल्ड एज होम बनाए हैं, जहां वो बेसहारा बुर्जुगों को सहारा दे रही हैं।

2015 में इस अभियान की नींव रखने वाली ज्योति ने आशियाना वृद्धाश्रम नाम से एक अनोखी पहल की। यहां तीस से अधिक बुर्जुग रहते हैं। समाजसेवी ज्योति इनके लिए रहने, खाने, मनोरंजन और देखभाल का पूरा ध्यान रखती हैं। आज केवल चार सालों में ही ज्योति का आशियाना उत्तराखंड के अलग अलग जिलों से आने वाले बेसहारा बुजुर्गों के लिए उम्मीद की एक रोशनी बन चुका है। ज्योति और उनके सहयोगियों ने जिस अपनेपन से इस अनोखी दुनिया को सजाया है। यहां रहने वाले बुर्जुग बेहद खुश रहते हैं। उन्हें अपनेपन का अहसास कराने के लिए ज्योति उनके साथ तीज-त्योहार भी मनाती हैं और मिलने भी आती हैं। ज्योति बुर्जुगों के साथ गप्पे भी मारती हैं और ठहाके भी लगाती हैं। उनके वृद्धाश्रम में रोजाना सुबह सभी को योगा कराया जाता है। उनकी छोटी-बड़ी जरूरतों का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। आश्रम की कोशिश ये भी होती है कि जो बुर्जुग परिवार से बिछड़ गए हैं या उनके परिजनों ने उन्हें त्याग दिया है, उन्हें दोबारा परिवार से मिलाया जाए। ज्योति का ये छोटा सा प्रयास बुर्जुगों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रहा है।