तमिलनाडु की नौ साल की बच्ची कमली ने बीते साल 'स्केटबोर्डिंग सनसनी' के रूप में खूब सुर्खियां बटोरीं थीं। अब वह एक बार फिर से चर्चा में हैं।
जब बात हुनर की होती है तो लोग कह देते हैं कि यह तो 'गॉड गिफ्टेड' है। यहां पर सामने वाले की रात-दिन की कड़ी मेहनत को एक तरह से नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसी ही एक कहानी है हुनरवान बेटी कमली की। तमिलनाडु की इस नौ साल की बच्ची ने बीते साल 'स्केटबोर्डिंग सनसनी' के रूप में खूब सुर्खियां बटोरीं थीं। अब कमली एक बार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल, उसके जीवन पर आधारित तमिलनाडु में एक लघु फिल्म 'कमली' बनी है जिसे ऑस्कर 2020 के लिए नामित किया गया है। यह फिल्म कमली की मां के किरदार पर केंद्रित है। जिसमें दिखाया गया है कि वह कितनी मेहनत करके समाज से लड़ कर अपनी बेटी को स्केटबोर्डिंग सिखा रही हैं। कमली को दुनिया ने तब पहचाना जब मशहूर स्केटबोर्डर टोनी हॉक ने अपने फेसबुक वॉल पर कमली की तस्वीर शेयर की थी। टोनी हॉक ने जब कमली की बेखौफ स्कैटिंग करते देखा तो वह हैरत में पड़ गए। इसके बाद वह इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंन इस बच्ची की स्कैटिंग की तस्वीरों को अपनी फेसबुक वॉल पर शेयर कर दिया।
कमली के मां की मेहनत का फल
तमिलानाडु के महाबलिपुरम गांव में आज से कुछ साल पहले तक शायद ही किसी ने स्केटबोर्डिंग का नाम सुना होगा। लेकिन उस बेहद छोटे से गांव में एक मां अपनी 9 साल की बेटी को स्केटबोर्डिंग चैंपियन बनाने का सपना देख रही है। कमली, एक छोटे से मछली पकड़ने वाले शहर, महाबलिपुरम की एकमात्र फीमेल चाइल्ड स्केटबोर्डर है। एक छोट से गांव में स्केटबोर्डिंग के इस तरह के दृश्य अपने आप में समाज के लिए एक आइने का काम करते हैं। जो समाज महिलाओं को कमजोर समझता है उसी समाज से सुगंती नाम की महिला सामने निकलकर आती है और अपनी बच्ची का सपना पूरा करने के लिए रात-दिन मेहनत करती है। कमली की मां अपना बचपन याद करतीं हैं। जहां सामाजिक दबाव के चलते वो अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाई। लेकिन उसने अपनी बेटी के साथ ऐसा नहीं होने दिया और अब वो चाहती है कि उसकी बेटी कमली उस आजादी को जीए, जो उनके नसीब में नहीं थी। कमली जिस बेखौफ अंदाज में स्केटबोर्डिंग कर रही है, उसी तरह उसकी मां भी इस पुरुष प्रधान समाज से लड़ रही है।
कमली की मां सुगंति ने एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में बताया, 'मेरे माता-पिता और स्थानीय लोग कमली के स्केटबोर्डिंग की बात से सहमत नहीं थे। वो कहते थे की अगर उसके हाथ-पैर टूट गए तो कमली की जिंदगी खराब हो जाएगी। मैं चाहती हूं की कमली बड़ी उपलब्धियां हासिल करे। उसे सीमित अवसरों के साथ मेरे जैसा नहीं होना चाहिए।'
ऑस्कर के लिए नामित हुई 'कमली'
'कमली' नामक डॉक्यूमेंट्री को हाल ही में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया है। ये शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री अगले साल यानी 2020 के ऑस्कर अवॉर्ड के लिए चुनी गई है। इस फिल्म की कहानी कमली मूर्ति और उसकी मां के स्ट्रगल पर आधरित है। इस फिल्म को महज 6 हफ्ते में शूट किया गया। यह फिल्म 24 मिनट की है। इस लधु फिल्म को न्यूजीलैंड के साशा रेनबो ने डायरेक्ट किया है। फिल्म कमली की मां सुगंति के किरदार के आस-पास घूमती है। सुगंति कैसे उसके स्केटबोर्डर कौशल को विकसित करने में मददगार रही। खासकर उनके संघर्ष को चित्रित किया गया है। जिसमें उन्होंने सभी रूढ़ियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। ताकि उसकी बेटी का सपना पूरा हो सके।
फिल्म को दिसंबर 2018 में मुंबई इंटरनेशन शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में भेजा गया था। इस फिल्म को बेस्ड डायरेक्टर अवॉर्ड मिल चुका है। साथ ही फिल्म ने अटलांटा फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री अवॉर्ड भी जीत चुकी है। इसी स्क्रीनिंग के बाद अब 'कमली' को 2020 अकादमी अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया है।
Story by - Rohit pal
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.