19 साल की उम्र में मुख्य स्ट्राइकर बनीं ललरेमसियामी की प्रतिभा को संवारने में जूनियर टीम के शिविर में कोच बलजीत सिंह सैनी ने अहम भूमिका निभाई।
नई दिल्ली। भारतीय महिला हॉकी टीम की स्ट्राइकर लालरेमसियामी इंग्लैंड में ब्रिटेन के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की तैयारी में जुटी हैं। उनका कहना है कि इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज से टीम ओलंपिक क्वालिफायर्स से बेहतर ढ़ंग से तैयारी कर सकेगी। उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि हम भुवनेश्वर में अमेरिका से क्वालिफायर्स में दोनों मैच जीतकर ओलंपिक का टिकट हासिल कर लेंगे। 19 साल की उम्र में मुख्य स्ट्राइकर बनीं ललरेमसियामी की प्रतिभा को संवारने में जूनियर टीम के शिविर में कोच बलजीत सिंह सैनी ने अहम भूमिका निभाई। इसके बाद शुएर्ड मराइन ने उन्हें सीनियर टीम में चुना और फिर वह हरेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में खेलीं। कप्तान रानी रामपाल से काफी प्रेरित हैं। रानी ने ही ललरेमसियामी का हिंदी संवाद बेहतर कराया है। जब अंडर-18 टीम में आई थी तो हिंदी ठीक से नहीं बोल पाती थी।
मां ने पैसे जोड़कर भेजा था दिल्ली
मिजोरम के अनजान से गांव कोलासिब के गरीब किसान ललथनसांगा और मां ललजरमावी की छह बेटियों और दो बेटों में मंझली सियामी अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता की हौसलाअफजाई को देती हैं। बताती हैं कि पिता के साथ खेती में हाथ बंटाने वाली मां के पास बहुत पैसे कभी नहीं रहे। फिर भी दस, 20 या 30 रुपये जो भी वह बचा पाती एक डिब्बे में रख देती थी। जब दिल्ली में नेशनल हॉकी अकादमी के लिए मेरा चयन हो गया तो तब उन्होंने जो भी रुपये उनके पास थे वह जाते हुए मेरे हाथ पर रख दिए। मैं आज जहां भी पहुंची हूं, इसी की बदौलत पहुंची हूं। अब आरसीएफ कपूरथला में सीनियर क्लर्क की नौकरी मिल गई है तो परिवार की मदद करती हैं।
पिता की मौत के बाद भी फाइनल खेला
हिरोशिमा में एफआईएच सीरीज फाइनल्स के सेमीफाइनल से पहले उनके पिता ललथनसांगा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। बावजूद इसके सेमीफाइनल और फाइनल खेला और भारत को एफआईएच सीरीज फाइनल्स जिता कर ओलंपिक क्वालिफायर्स में जगह बनाने में योगदान किया। ललरेमसियामी कहती हैं, चीफ कोच शुएर्ड मराइन सर ने भी मुझे कहा कि मैं चाहे तो घर लौट सकती हूं। तब मैंने कहा था कि मेरे पिता का सपना था कि मै हॉकी खेल कर भारत का गौरव बढ़ाऊं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.