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सांप जैसी स्किन वाली लड़की बन गई सबकी चहेती मॉडल

Published - Tue 24, Sep 2019

हाईस्कूल में उसके साथ पढ़ने वाले एक लड़के ने उससे कहा, तुम्हारी स्क्रिन बेहद चमकदार है, तुम मॉडलिंग करो। उसने शीशे में निहारा और खुद को बेहद खूबसूरत पाया। अपनी तस्वीरें खीचीं, पोर्टफोलियो बनाया और एजेंसियों में भेज दिया।

snake skin

वो पैदा हुई तो उसका पूरा जिस्म एक महीन झिल्ली से लिपटा हुआ था, बिलकुल वैसा ही जैसे सांप या छिपकली का होता है। जो भी देखता, उससे दूर भागता। मां लोगों को समझाती कि छूने से यह बीमारी नहीं होती। फिर हाईस्कूल में उसके साथ पढ़ने वाले एक लड़के ने उससे कहा, तुम्हारी स्क्रिन बेहद चमकदार है, तुम मॉडलिंग करो। उसने शीशे में निहारा और खुद को बेहद खूबसूरत पाया। अपनी तस्वीरें खीचीं, पोर्टफोलियो बनाया और एजेंसियों में भेज दिया। कहीं से कोई जवाब नहीं आया, लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ी और आखिरकार मेहनत रंग लाई। जब वो रैंप पर उतरीं तो पूरा हाल तालियों से गूंज उठा। आज जयेजा गैरी विश्व की टॉप की मॉडल हैं। उन्होंने खूबसूरती के मायने बदल दिए हैं...
 
20 साल की जयेजा गैरी का पोर्टफोलियो आप वीस्पीकमॉडलमैनेजमेंटडॉटकॉम (https://www.wespeakmodels.com/women/1460543/jeyza-gary) पर देख सकते हैं। यहां आप जयेजा गैरी की तस्वीरों को देखकर हैरान हो जाएंगे कि कोई ऐसी त्वचा वाली लड़की भी मॉडल बन सकती है। अपने पोर्टफोलियों में जयेजा ने लिखा है कि वह जन्म से ही लामेलर इचथ्योसिस नामक बीमारी से ग्रस्त है। इसके बावजूद मुझमें वो सारे गुण हैं, जो सामान्य लड़कियों में होते हैं। मैंने अपनी त्वचा को कभी नहीं ढका और ना ही इस कमी को कभी किसी से नहीं छुपाया। मैंने अपनी इसी कमजोरी को अपनी ताकत और हिम्‍मत बनाया।
 
 
मां ने दी हिम्मत
जयेजा गैरी कहती हैं कि आज वो यहां तक पहुंची हैं तो उसमें उनका मां का बहुत बड़ा हाथ है। मेरी मां ने कभी मुझे दूसरों से अलग नहीं समझा। वह बताती हैं कि जब लोग मुझे घूर-घूर कर देखते थे तो मां को बहुत चुभन होती थी। वह कहती थीं कि मेरी बेटी तुम्हारी तरह ही है, उसे यूं मत घूरो कि वह खुद से ही डर जाए, बल्कि आकर पूछो कि आखिर उसे यह कौन सी बीमारी हुई है, इस बात का वह बुरा नहीं मानेंगी। जयेजा बताती हैं कि जब उनका स्कूल में दाखिला हुआ और वह पहली बार स्कूल गईं तो मां भी साथ आईं। सभी बच्चों का इकट्ठा कर उन्होंने मेरे परिचय कुछ यूं समझाया- यह मेरी बेटी जयेजा गैरी है। इसे एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से उसकी स्किन हर 10 से 12 दिन में खराब हो जाती है। आप मे से कितने बच्चों ने सांप और छिपकली को देखा है, बस मेरी बेटी की स्किन वैसी ही है। ये बीमारी उसको छूने से नहीं होगी। वो आप सबकी तरह ही सामान्य है।
मेरी मां ने दूसरों के साथ मुझे भी यही पाठ पढ़ाया कि मैं दूसरों से अलग नहीं हूं। जब मैं अपनी स्किन को छीलने लगती तो वो मेरे माथे पर एक बैंड बांध देतीं और मैं स्कूल चली जाती थी। मेरे भाई की तरह मेरी मां ने मुझे भी शॉर्ट्स पहनने दिए। मां ने तो हमेशा मुझे लोगों की बातों से, नजरों से बचाया। मेरे पास हमेशा डॉक्टर का दिया हुआ नोट होता था, लेकिन उसे मेरे टीचर्स पढ़ना ही नहीं चाहते थे। टीचर्स का भी बर्ताव मुझे मायूस करता था। 
 
 
फिर एक दिन जब मैंने मेकअप नहीं किया तो....
मेरी बीमारी के चलते मुझे पसीना नहीं आता है, इसलिए जब ज्यादा गर्मी पड़ती है, तो मैं बाहर नहीं जा सकती। मैं हर वक्त वैसलीन लगाती हूं। साथ ही हर वक्त अपने साथ छतरी रखती हूं। अपनी त्वचा की वजह से मैं कभी बाहर जाकर ज्यादा खेल नहीं पाई। मन होता था, लेकिन बाकी बच्चों की नजरों में खुद से ही झेंप जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई, मुझे भी एहसास होने लगा कि मैं दूसरों की तरह ही हूं। जब मैं हाईस्कूल में पहुंची तो मैंने खूब सारा मेकअप थोपना शुरू किया। मेरी आईब्रोज नहीं हैं पर मैंने मेकअप से आईईब्रोज को शेप दी। आंखों पर मस्कारा और होठों पर लिपस्टिक लगानी शुरू की। फिर एक दिन जब मैंने मेकअप नहीं किया और शीशे में निहारा तो मैं खुद को पहचान नहीं पाई। अपना ही अक्स देखकर मैं सोच में पड़ गई कि कौन है ये लड़की? उस दिन से मैंने मेकअप लगाना छोड़ दिया। मुझे एहसास हुआ कि मेरी स्किन बहुत अच्छी है और मैं उसे वैसे ही स्वीकार करूंगी। कभी-कभी मेरी स्किन हल्के भूरे रंग और भड़कीले नारंगी रंग की हो जाती है, तो कभी चॉकलेट के कलर की हो जाती है, जो मुझे बहुत अच्छी लगती है। मैं जैसी हूं, मुझे खुद पर गर्व है।
 
 
क्लासमेट के कथन से बदला नजरिया
जयेजा कहती हैं, मैंने जब मेकअप लगाना छोड़ दिया और कोई कुछ भी बोले, मैंने उनको जवाब देना शुरू किया। तब मेरे साथ पढ़ने वाली एक लड़की ने हमेशा मेरा पक्ष लिया। मेरे इस बेबाकपन से प्रभावित होकर उसने स्कूल छोड़ते हुए स्कूल ईयरबुक में लिखा- जयेजा, मैं आपको बहुत याद करूंगी। कितनी भी मुश्किलें हों आप मुस्कुराने की वजह ढूंढ ही लेती हैं। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। आपको मॉडल बनना चाहिए।
इस दोस्त की सलाह को मैंने सच में सीरियसली ले लिया और इसके बाद मैंने अपनी कुछ तस्वीरें खींची और उन्हें एजेंसियों को भेज दिया। मगर कहीं से जवाब नहीं मिला। पिछले साल सितंबर को मेरी जिंदगी अचानक से बदल गई जब मुझे वीस्पीकमॉडलमैनेजमेंटडॉटकॉम से न्यूयॉर्क जाने का ऑफर मिला। पर मैं तय नहीं कर पाई कि जाऊं या नहीं क्योंकि साउथ करोलिना में भयंकर तूफान आया हुआ था। हर तरफ त्राहि-त्राहि मची थी। मैंने ख्याल छोड़ दिया। फिर अप्रैल में मुझे कंपनी से दोबारा मैसेज आया और उन्होंने मई में मुझे ऑफिशियली साइन कर लिया। न्यूयॉर्क में मेरा पहला पोर्टफोलियो प्रोग्राम शुरू हुआ, बहुत सी तस्वीरें खंची गईं। ऐसा करके मुझे बहुत खास महसूस हुआ।
जयेजा बताती हैं, मैंने न्यूयार्क में खिंची अपनी एक तस्वीर इंस्टाग्राम पर डाली। तो एक दिन एक महिला ढूंढते हुए मेरे पास आई और मुझे कसकर गले लगा लिया। बोलीं कि अब तुम्हारे निराशा के दिन खत्म हुए। चलो हंसो। फिर बोलीं कि देखो तुम्हारे पास लामेलर इचथ्योसिस है, जो मेरे पास नहीं है। तुम्हारे पर चमकदार स्किन है जो हर किसी को नसीब नहीं होती। आज मैं भी दूसरे लोगों की तरह एक मॉडल हूं।
 
 
दूसरी लड़कियों की बनीं प्रेरणा
जयेजा गैरी कहती हैं कि जब मेरे बारे में पढ़कर सोशल मीडिया में बहुत से लोगों ने मेरी प्रशंसा की तो उस दिन मुझे लगा कि मैं आसमान में दौड़ रही हूं। बहुत अच्छा लगा। एक लड़की ने तो लिखा कि वो भी मेरी तरह है और मुझे देखकर अब उसे हिम्मत मिली है। वह लड़की कभी शार्ट पहनने का नहीं सोचती थी और अब मेरा अनुकरण करते हुए वह बिंदास शार्ट और फैशनेबल कपड़े पहन रही है। और भी बहुत से लोगों ने अपने बारे में मुझसे शेयर किया है। यह सब देखकर मुझे खुशी होती है कि मैं किसी की हिम्मत बढ़ा पाई हूं। ऐसी बातों से मेरा यह जीवन सार्थक हो गया प्रतीत होता है मुझे।  
 
 
जयेजा की बीमारी
लामेलर इचथ्योसिस एक ऐसी बीमारी है जो माता-पिता के असामान्य गुणसूत्र से बच्चों को होती है। डॉक्टर्स कहते हैं कि ये बीमारी 1,00,000 लोगों में से किसी एक को ही होती है। दरअसल, यह एक दुर्लभ त्वचा की स्थिति है। यह बच्चे को जन्म से ही होती है और जीवन भर चलती रहती है। कई बच्चे त्वचा की एक स्पष्ट, चमकदार, मोमी परत के साथ पैदा होते हैं, जिसे कोलॉडियन झिल्ली कहा जाता है। इस कारण से, इन शिशुओं को कोलोडियन शिशुओं के रूप में जाना जाता है। जीवन के पहले 2 सप्ताह के भीतर झिल्ली बहती है। झिल्ली के नीचे की त्वचा लाल और पपड़ीदार होती है। यह एक मछली की सतह जैसा दिखता है।