जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की निजी जिंदगी के बारे में लोगों को कम ही पता है। बताते चलें कि महबूबा सिंगल मदर हैं। शादी के बाद उन्होंने दो प्यारी से बेटियों का जन्म दिया। लेकिन महबूबा की शादी ज्यादा दिन तक ना चल सकी और तीन साल बाद ही उनका पति से तलाक हो गया। अकेले दम पर महबूबा ने अपनी बेटियों की परवरिश की और उन्हें ऊंची तलीम दीं। उनकी बड़ी बेटी लंदन में भारतीय हाई कमिश्नर में सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव अफसर हैं तो छोटी बेटी मुंबई में रहकर फिल्मों में अपना भाग्य आजमा रही हैं। आइए जानते हैं महबूबा और उनकी बेटियों के बारे में...
22 मई 1959 में कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबिहाड़ा में जन्मीं महबूबा मुफ्ती को राजनीति विरासत में मिली। वह जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी हैं। लंबी बीमारी के चलते 2016 में उनके पिता का निधन हो गया था। पिता के देहांत के बदा महबूबा जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री बनी थीं। वह जम्मू और कश्मीर की पहली महिला राजनेत्री हैं।
महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। 1984 में महबूबा ने जावेद इकबाल से निकाह किया। इनकी दो बेटियां हुईं। बड़ी बेटी का नाम इल्तिजा जावेद और छोटी बेटी का नाम इर्तिका रखा गया। इल्तिजा जावेद को घर के लोग प्यार से सना कहकर भी पुकारते हैं।
दोनों बेटियों के जन्म के बाद महबूबा का जावेद इकबाल से रिश्ता टूट गया। शादी के तीन साल बाद 1987 में उनका तलाक हो गया। बताया जाता है कि जावेद पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाह थे और यही बात तलाक की वजह बनी। वहीं जानवरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले जावेद ने साल 2016 में एक इंटरव्यू में कहा था कि महबूबा के साथ उनके तलाक की वजह की कहानी बहुत लंबी है लेकिन उन्होंने महबूबा को ही इसके लिए जिम्मेदारी ठहराया था। खैर तलाक के बाद दोनों बेटियों की परवरिश का सारा जिम्मा महबूबा मुफ्ती पर आ गया। उन्होंने अकेले दम पर बेटियों की बहुत अच्छे से परवरिश की। उनकी बेटियों की कुछ पढ़ाई दिल्ली में तो कुछ कश्मीर में और कुछ विदेश में हुई है। महबूबा ने बेटियों को पढ़ा-लिखाकर स्वावलंबी बनाया।
पिता के कहने पर राजनीति में आईं
महबूबा मुफ्ती के भाई तसादुक मुफ्ती सिनेमेटोग्राफर हैं। वह राजनीति में आना नहीं चाहते थे। ऐसे में महबूबा ने पिता की सलाह पर उनकी सियासी विरासत को संभालने का फैसला किया। उन्होंने 1996 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर अनंतनाग की बिजबिहाड़ा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतीं। इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने 1999 में श्रीनगर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गईं। वर्ष 2002 में महबूबा फिर से विधानसभा चुनाव जीती थीं। 2004 में महबूबा पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरीं और उन्होंने अपने जन्म स्थान दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग सीट से पहली बार चुनाव लड़ते हुए केंद्र की राजनीति में दस्तक दी।
महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कांग्रेस से अलग होकर 1999 में अपनी नई पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (जेकेडीपी) बना ली। पिता की पार्टी में महबूबा मुफ्ती उपाध्यक्ष बनीं। पिता की मौत के बाद महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री बनीं। वह जम्मू-कश्मीर की 13वीं और पहली महिला मुख्यमंत्री बनी थीं। इसी के साथ ही वह देश की दूसरी मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री भी थीं। लेकिन भाजपा ने जब अपना समर्थन वापस ले लिया तो महबूबा की सरकार गिर गई। इधर, मोदी सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटाई तो इसके खिलाफ महबूबा मुफ्ती आंदोलन पर उतर गईं और केंद्र सरकार के निर्देश पर कश्मीर प्रशासन ने उन्हें नजरबंद कर दिया। मां से मिलने के लिए जब उनकी बड़ी बेटी इल्तिजा ने कोर्ट में अर्जी दी तब महबूबा की इस बेटी के बारे में लोगों को पता चला और तभी से महबूबा और उनकी बेटियां सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे।
महबूबा ने बेटियों को करियर चुनने की आजादी दी
महबूबा मुफ्ती ने एक मां के रूप में अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। दोनों बेटियों को उन्होंने ऊंची तालीम दी है। बेटियों की राजनीति में बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं है। वहीं महबूबा मुफ्ती के करीबी बताते हैं कि उन्होंने अपनी बेटियों को अपना भविष्य तय करने की पूरी आजादी दी। बल्कि बेटियों ने जो करना चाहा, मां महबूबा ने उनकी आगे बढ़कर मदद की और उन्हें मजबूत बनाया। 34 साल की उनकी बड़ी बेटी इल्तिजा लंदन में भारतीय हाई कमिश्नर में सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव अफसर हैं। उन्होंने विदेश से इंटरनेशनल रिलेशंस रिलेशन में मास्टर की डिग्री ली है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिलहाल वह अभी कश्मीर में रह रही हैं।
महबूबा मुफ्ती की छोटी बेटी इर्तिका राइटर हैं। वह अपने मामा तसादुक मुफ्ती के पास मुंबई में रहती हैं। उनके मामा एक सिनेमेटोग्राफर हैं। वह उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रही है। वे फिल्म इंडस्ट्री में राइटर के रूप में अपना करियर बनाना चाहती है। इर्तिका का नाम बॉलीवुड की दो फिल्मों कमीने और ओंकारा से भी जुड़ा है। इर्तिका ने अमेरिका से स्क्रीन राइटिंग में स्पेशलाइजेशन किया हुआ है। इर्तिका को एक्टिंग का भी शौक है।
महबूबा के पति ने ससुर के खिलाफ किया था चुनाव प्रचार
कहा जाता है कि व्यवसायी जावेद इकबाल महबूबा के राजनीति में जाने के खिलाफ थे। इस बीच महबूबा ने जावेद पर आरोप लगाया कि वे अपने बच्चों की जवाबदेही के प्रति लापरवाह हैं। दूरियां बढ़ती गईं। आखिरकार 1987 में दोनों का तलाक हो गया। महबूबा से तलाक के बाद जावेद के मन में अपनी पूर्व पत्नी और उनके पिता के खिलाफ कड़वाहट पैदा हो गई थी। जावेद को राजनीति से परहेज था, लेकिन महबूबा और मुफ्ती मोहम्मद सईद को सबक सिखाने के लिए उन्होंने सियासत का दामन थाम लिया। जावेद को इस बात की भी खुन्नस थी कि महबूबा दोनों बेटियों को उनसे मिलने नहीं देती थीं। जावेद इस ताक में लग गए कि कैसे अपने पूर्व ससुर को सियासी नुकसान पहुंचाएं। 1996 में जावेद को यह मौका मिल गया। जावेद ने पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर अपने ससुर का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस की टिकट पर सोनावर सीट से चुनाव लड़ा था।
1996 के लोकसभा चुनाव के समय लालू यादव ने मुफ्ती मोहम्मद सईद को बिहार के कटिहार से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया। सईद चुनाव लड़ने के लिए कटिहार आ गये। लालू ने उन्हें जनता दल का टिकट दे कर मैदान में उतार दिया। जैसे ही जावेद इकबाल को ये बात मालूम हुई वे अपने पूर्व ससुर सईद का विरोध करने के लिए कटिहार पहुंच गए। वे करीब दो महीने तक कटिहार में रहे। जावेद कांग्रेस के प्रत्याशी तारिक अनवर के पक्ष में प्रचार करने लगे। उस समय उन्होंने मुफ्ती मोहम्मद सईद पर कई गंभीर आरोप भी लगाए थे।
महबूबा मुफ्ती की दो बहनें और एक भाई है
महबूबा के छोटे भाई तसादुक मुफ्ती मुंबई में बॉलीवुड सिनेमैटोग्राफर हैं। वह सार्वजनिक रूप में जब देखे गए थे जब वे अपने पिता के जनाजे को कंधा दे रहे थे। बताया जाता है कि उनके राजनीति में न आने की इच्छा के बाद ही मुफ्ती मोहम्मद सईद ने महबूबा को अपना राजनीतिक वारिस बनाया। महबूबा मुफ्ती की दो बहने हैं। सबसे छोटी बहन श्रीनगर में रहती हैं, लेकिन उनके बारे में ज्यादा कोई कुछ नहीं जानता। वह राजनीतिक माहौल से दूर रहती हैं। महबूबा से छोटी रुबिया सईद हैं। रुबिया वर्ष 1989 में उस वक्त सुर्खियों में आई थीं जब उनका अपहरण हुआ था। उस वक्त उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद भारत के गृहमंत्री पद पर नियुक्त थे। उनकी इस नियुक्ति के कुछ दिनों के बाद ही रुबिया अपहरण कांड हुआ और रुबिया की रिहाई के बदले तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को पांच आतंकियों को छोड़ना पड़ा था। दो बेटों की मां रुबिया अब चेन्नई में रहती हैं और वहां के एक बड़े अस्पताल में वह सीनियर डॉक्टर हैं। उनके पति शरीफ अहमद का ऑटोमोबाइल शोरूम है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.