वाराणसी आर्टिस्ट पूनम राय की कहानी बिल्कुल फिल्मी है। एक घटना ने उनका जीवन लगभग खत्म ही कर दिया था, लेकिन 17 साल बिस्तर पर रहने के बाद भी पूनम ने हौंसला नहीं छोड़ा और आखिर फिर से खड़ी हुईं और अपने जज्बे से दुनिया को चौंकाया। खुद पीएम मोदी भी उनके हौंसले और प्रतिभा के कायल हैं। पूनम ऑटिस्ट हैं और लोगों को पेंटिंग सिखाती हैं।
जब पूनम बीएचयू में पढ़ने के लिए गईं, तो उनकी आंखों में हजारों सपने थे। लेकिन इन सपनों को जैसे ग्रहण सा लग गया। 1996 में उनकी शादी कर दी गई। जिस लड़के से उनकी शादी हुई, शादी के बाद पता चला कि वो तो केवल बारहवीं पास है। ससुराल में भी पूनम की जिंदगी खुशनुमा नहीं थी। दहेज लोभी ससुरालियों ने पूनम को दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। एक दिन दहेज की मांग को लेकर उन्हें तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया गया। इस घटना से पूनम को स्पाइनल इंजरी हो गई। जिस समय यह घटना घटी पूनम की एक दो माह की बेटी भी थी। इस घटना से पूनम की जिंदगी मानों थम सी गई। उनकी कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह सुन्न हो गया इस घटना के बाद वो 17 साल पूरी तरह बेड पर पड़ी रहीं। इस बुरे समय को पूनम ने अपनी हिम्मत और हौंसले से बिताया। बीएचयू से पेंटिंग में ऑनर्स पूनम ने तय किया कि उन्हें खड़ा होना है और हार नहीं माननी है।
2014 से पूनम वॉकर के सहारे चलने लगीं। स्वस्थ होने के बाद उन्होंने अपने पिता बिंदेश्वरी राय के नाम पर बीआर फाउंडेशन की स्थापना की, जिसमें उनके बड़े भाई नरेश कुमार राय का अहम योगदान रहा। वह इस साल लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी 2019 में वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अपनी एक पेंटिंग 'फेज ऑफ फेस' भेट कर चुकी हैं। पूनम कहती हैं कि हादसे के दिनो में पटना के एक डॉक्टर ने उनसे कहा था कि वह कभी चल नहीं पाएंगी, अब हमेशा अपंग रहेंगी, लेकिन उस घटना में अपने पैरों की ताकत खो देने के बाद उन्होंने अपने अंदर के कलाकार को जिंदा किया। आज वह अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के दम पर वॉकर के सहारे कहीं भी आ जा सकती हैं। वह कहती हैं कि एक स्त्री को इतना भी कमजोर नहीं समझना चाहिए कि वह स्वयं को सुरक्षित नहीं रख सकती है। बस हमे खुद पर गहरा आत्मविश्वास होना चाहिए। इसके लिए चित्रकला भी एक सशक्त माध्यम है। पूनम द्वारा एक साथ 648 महिलाओं की विभिन्न दुखांतक मुद्राएं उकेरी गई हैं। पिछले साल उनकी इस नायाब कलाकृति को 'वर्ल्ड रिकार्ड इंडिया' में जगह मिल चुकी है। पेंटिंग में पूनम कई रिकॉर्ड बना चुकी हैं।
जिंदगी से हार न मानने वाली पूनम ऐसी युवतियों के लिए एक उदाहरण हैं, जो थोड़ी सी परेशानी से ही हार मान लेती हैं। पूनम वाराणसी की महिलाओं को पेंटिंग और योगा सिखाती हैं। डांस सिखाने के लिए उन्होंने अलग शिक्षक नियुक्त कर रखा है। वह उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से संचालित समर कैंप में ड्राइंग क्लासेज ले चुकी हैं। अभी तक उनको न तो सरकार से कोई मदद मिली है, न वह अपने हुनर सिखाने की लोगों से कोई फीस लेती हैं। वह सिर्फ अपनी पेंटिंग बेचकर कुछ अर्जित कर लेती हैं, उसमें से ही वह बच्चों को गिफ्ट आदि भी देती रहती हैं। पिछले साल मनाली में आर्टजकोजी की ओर से आयोजित कार्यशाला में 50 फीट लंबे, चार फीट ऊंचे कैनवास पर तीन घंटे के अंदर बनाई गई पेटिंग के लिए उनको मैराथन लॉंगेस्ट पेंटिंग अवार्ड से नवाजा गया। इस पेंटिंह में उनकी टीम के दयानंद, रबींद्रनाथ दास, शालू वर्मा, बबिता राज, धनंजय, धर्मेंद शर्मा और शेफाली की महत्वपूर्ण सहभागिता रही। पूनम को दिल्ली की विसुअल आर्ट गैलरी में प्रथम पुरस्कार मिल चुका है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.