गुरुवार को खेल दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूजा ढांडा को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया। पूजा देश की पहली यूथ ओलिंपियन हैं। इस अवॉर्ड तक पहुंचने के लिए पूजा ने हिसार से ही लंबा संघर्ष किया।
अपने देश का नाम रोशन करना और उसकी सेवा करना हर किसी का सपना होता है। हिसार जिले के गांव बुडाना निवासी पूजा ढांडा ने भी खेल की दुनिया में भारत को नई हचान दिलाई। आज जब उन्हें इसका इनाम अजर्जुन अवॉर्ड के रूप में मिला तो यह न सिर्फ उनके लिए बल्कि उनके परिवार वालों के साथ-साथ देश के लिए भी बेहद खुशी का क्षण रहा। गुरुवार को खेल दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूजा ढांडा को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया। पूजा देश की पहली यूथ ओलिंपियन हैं। इस अवॉर्ड तक पहुंचने के लिए पूजा ने हिसार से ही लंबा संघर्ष किया। पूर्व में उनको कोचिंग दे चुके कोच भी उनकी मेहनत और लगन को लेकर खासे प्रभावित रहे। यूथ ओलिंपियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक विजेता पूजा ने कुछ समय पहले ही मैड्रिड (स्पेन) में जारी स्पेन ग्रैंड-प्रिक्स रेस्लिंग चैंपियनशिप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 57 किग्रा भारवर्ग में रजत पदक प्राप्त किया था। इससे पहले भी पूजा 12 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिताब अपने नाम दर्ज कर चुकी हैं।
खेल विभाग में कोच हैं पूजा
पूजा ढांडा खेल विभाग में कोच के पद पर कार्यरत हैं। वहीं उनके पिता अजमेर ढांडा जीएलएफ में कार्यरत हैं। पूजा ढांडा फिलहाल जीएलएफ कॉलोनी में परिवार सहित रहती हैं। हालांकि उनका परिवार मूल रूप से गांव बुड़ाना का रहने वाला है। ढांडा ने अपने करियर की शुरुआत महाबीर स्टेडियम से जूडो खिलाड़ी के रूप में की थी। लेकिन 2009 आते-आते वह कुश्ती में बदल गया। एक युवा खिलाड़ी के रूप में, पूजा के करियर को तब पंख लगे जब उन्होंने 2010 ग्रीष्मकालीन युवा ओलंपिक में 60 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक जीता। पूजा ने साल 2013 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदार्पण किया और फाइनल में बबीता फोगट को हरया और 2017 तक सभी चार वरिष्ठ राष्ट्रीय चैंपियनशिप अपने नाम कर दिखा दिया कि वह यहां पर राज करने वाली है।
फिल्म दंगल से मिला था ऑफर
पूजा को ब्लॉकबस्टर दंगल (2016) में बबीता फोगट की भूमिका निभाने का ऑफर मिला था, जिसे वह चोट के कारण नहीं निभा सकती थीं। पूजा ने बाद में वास्तविक जीवन में 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों के चयन परीक्षणों में गीता फोगट को हराया था। पूजा ने 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती में गोल्ड कोस्ट में रजत पदक अपने नाम कर अपना और देश का नाम रोशन किया।
पिता की आंखों से छलक पड़े आंसू
जिस समय बेटी पूजा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों अर्जुन पुरस्कार मिला तो यह देख मेरी आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। यह मेरे जीवन का सबसे यादगार पल रहेगा। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी पूजा ढांडा के पिता अजमेर ढांडा का। राष्ट्रपति भवन में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में पूजा ढांडा के साथ उनके पिता अजमेर ढांडा, मां कमलेश व भाई सुमित भी कार्यक्रम में पहुंचे। वहीं अर्जुन अवॉर्डी पूजा ने कहा कि आज उसकी बरसों की मेहनत सफल हुई है। आज यह पुरस्कार मिला तो पता चला कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। आज मैं देश के हर माता-पिता से से यही कहना चाहती हूं कि वह भी अपनी बेटियों पर विश्वास करें और उन्हें आगे बढ़ने के अवसर दें। फिर देखना उनकी बेटियां भी यह मुकाम हासिल करेंगी।
अजमेर ढांडा ने कहते हैं कि हमारी मुलाकात खेल मंत्री किरण रिजिजू से भी हुई। उन्होंने पूजा से कहा कि और मेहनत करो व देश का नाम रोशन करो। जिस समय खेल मंत्री ने पूजा की तारीफ की तो उस वक्त मुझे मेरी बेटी पर खूब फख्र महसूस हो रहा था। उसके बाद मैंने पूजा से कहा कि अब ओलंपिक को अपना टारगेट फिक्स कर लो। मेरी ख्वाहिश है कि तुम देश के लिए ओलंपिक का पदक जीतो।
मां बोलीं- बेटियों को भी बेटों के समान अवसर मिले
वहीं पूजा की मां कमलेश ढांडा ने कहा कि बेटी को यह पुरस्कार लेते देखकर जो खुशी मुझे हुई है, उसके मैं बयां नहीं कर सकती। बस लोगों से यही कहना चाहती हूं कि बेटियों को भी बेटों के समान अवसर मिले तो वह भी अपने माता-पिता का नाम रोशन कर सकती हैं। मां कमलेश ने बताया कि वापस हिसार जाते ही यह खुशी मैं अपने रिश्तेदारों व पड़ोसियों के साथ साझा करूंगी। मैं जाते ही पूरी कॉलोनी व रिश्तेदारों में मिठाई बंटवाऊंगी। उधर, भाई सुमित ने कहा कि आज मुझे मेरी बहन के गर्व महसूस हो रहा है। साथ ही मुझे इस बात पर फख्र हो रहा है कि मैं पूजा ढांडा का भाई हूं। भगवान से यही दुआ मांगता हूं कि मेरी बहन ऐसे ही अपने परिवार व देश का नाम रोशन करती रहे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.