महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने किया पुरस्कृत। दस जिलों को ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के बारे में जागरूकता फैलाने तथा इसे बेहतर तरीके से लागू करने के लिए पुरस्कृत किया गया।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना को सफलतापूर्वक लागू करने और लिंगानुपात में सुधार के लिए उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान को सम्मानित किया गया। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इन राज्यों को पुरस्कृत किया।
जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार के लिए दस जिलों को भी सम्मानित किया गया। इनमें उत्तर प्रदेश का इटावा, उत्तराखंड का ऊधमसिंह नगर, हरियाणा का महेंद्रगढ़ व भिवानी, मध्य प्रदेश का रीवा, राजस्थान का जोधपुर, अरुणाचल प्रदेश का पूर्वी केमांग, तमिलनाडु का नामाक्कल, महाराष्ट्र का जलगांव, और छत्तीसगढ़ का रायगढ़ शामिल है। दस जिलों को इस योजना के बारे में जागरूकता फैलाने तथा इसे बेहतर तरीके से लागू करने के लिए भी पुरस्कृत किया। इनमें हिमाचल का मंडी, शिमला और सिरमौर, जम्मू-कश्मीर का किश्तवाड़, उत्तर प्रदेश का फर्रुखाबाद, तमिलनाडु का तिरुवल्लूर, गुजरात का अहमदाबाद, कर्नाटक का गडग, नगालैंड का चोखा और राजस्थान का नागौर शामिल है। पांच राज्यों के प्रधान सचिवों, आयुक्तों तथा नौ राज्यों के 10 जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों तथा उपायुक्तों को जन्म के समय लिंगानुपात में लगातार सुधार के लिए भी सम्मानित किया गया।
कन्या जन्मदर में वृद्धि : ईरानी
ईरानी ने कहा कि पिछले पांच साल में कन्या जन्म दर में 13 प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई है। 2014-15 में प्रति हजार पुरुषों पर 918 से आंकड़ा बढ़कर 2018-19 में 931 पहुंच गया। यह वृद्धि दिखाती है कि देश में केवल आर्थिक विकास नहीं हो रहा बल्कि सामाजिक स्तर पर भी समग्र समाज की ओर बढ़ रहे हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.