छोटे पहाड़ी गांव से निकल कर ट्रेन चलाने का सफर अंजलि शाह के लिए कभी आसान नहीं रहा। उत्तराखंड की पहली महिला ट्रेन चालक अंजलि बताती हैं कि बचपन में उन्होंने ट्रेन देखी थी और तभी ये तय कर लिया था कि बड़ी होकर वो ट्रेन चालक बनेंगी।
कोई कार चलाना चाहता है तो कोई हवाई जहाज, लेकिन अंजलि शाह बचपन से ट्रेन चलाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने खूब मेहनत की और आज अंजलि असिस्टेंट लोको पायलट बन इतिहास रच चुकी हैं। वो उत्तराखंड की पहली महिला ट्रेन चालक हैं। अंजलि ने साबित कर दिया कि अगर लड़कियां ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं, हर चुनौती को जीता जा सकता है
छोटे पहाड़ी गांव से निकल कर ट्रेन चलाने का सफर अंजलि शाह के लिए कभी आसान नहीं रहा। उत्तराखंड की पहली महिला ट्रेन चालक अंजलि बताती हैं कि बचपन में उन्होंने ट्रेन देखी थी और तभी ये तय कर लिया था कि बड़ी होकर वो ट्रेन चालक बनेंगी। ये एक ऐसा क्षेत्र है जहां आज भी पुरुषों का दबदबा माना जाता है, ऐसे में कई बार लोगों ने अंजलि का मजाक भी बनाया तो कभी उन्हें कोई दूसरा काम करने की सलाह दी, लेकिन मेहनती और होनहार अंजलि ने ठान लिया था कि कोई कुछ भी कहे वो बनेंगी तो सिर्फ ट्रेन चालक। वो हारी नहीं, टूटी नहीं, अपने सपने को जीने वाली अंजलि आज असिस्टेंट लोको पायलट हैं, कुछ महीने बाद लोको पायलट भी बन जाएंगी। तीर्थनगरी की अंजलि ने अपने बचपन का सपना साकार किया।
अंजलि काफी होनहार है : ट्रेनर
इस वक्त अंजलि शाह ट्रेनिंग पर हैं और फिलहाल मुख्य चालक की मदद से ट्रेन चला रही हैं। 23 साल की अंजलि को ट्रेनिंग दे रहे अधिकारी कहते हैं कि अंजलि को जो भी सिखाया जाता है, वो तुरंत सीख जाती हैं। ट्रेन चलाना आसान काम नहीं है, क्योंकि हजारों लोग ट्रेन सेवा और ड्राइवर पर भरोसा करते हैं। एक लापरवाही हजारों जान पर भारी पड़ सकती है, यही वजह है कि लोको पायलट को नियुक्ति से पहले कठिन ट्रेनिंग से गुजरना होता है। ट्रेन चालक के हाथों में हजारों लोगों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पंहुचाने की जिम्मेदारी होती है। इस वक्त अंजलि भी ट्रेनिंग कर रही हैं, वो दो ट्रिप पूरी कर चुकी हैं और उनके साथियों को पूरा भरोसा है कि वो एक अच्छी ट्रेन ड्राइवर बनेंगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.