कामयाबी के पीछे संघर्ष की दास्तां, खुद यूं की बयां... सीरीज के तहत हम अपने पाठकों को इस मंच पर उन अभिनेत्रियों से मिलावाएंगे, जिन्होंने जिंदगी में हिम्मत नहीं हारी, संघर्ष करके कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ीं और अपनी एक अलग पहचान बनाई। इस कड़ी में आज एक्ट्रेस विद्या बालन की जुबानी जानिए उनकी जिंदगी के बारे में। विद्या बालन की हाल ही में फिल्म 'मिशन मंगल' आई है और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है। एक वक्त था जब विद्या बालन को सिने इंडस्ट्री में मनहूस करार दिया गया था, लेकिन अपने श्रेष्ठ अभिनय से विद्या ने साबित कर दिया है कि वो मनहूस नहीं हैं...
केरल में जन्मीं तमिल मूल की विद्या बालन के परिवार का फिल्मों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। जब शुरू के दिनों में विद्या बालन फिल्मों में अभिनय से लिए संघर्ष कर रही थीं तब उन्हें दक्षिण भारतीय फिल्मों के अभिनेता मोहनलाल के साथ मलयालम फिल्म में काम करने का मौका मिला था। हालांकि ये फिल्म किसी कारणवश बंद हो गई, लेकिन विद्या बालन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया और सिने इंडस्ट्री में उन्हें मनहूस करार दिया गया। विद्या कहती हैं, 'लगातार तीन साल तक मुझे रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। ऐसे भी दिन थे जब मैं रोते रोते सोया करती थी। लेकिन मैंने हिम्मत रखी। हर सुबह मैं इस उम्मीद के साथ उठती थी कि कुछ तो अच्छा होगा। इसके बाद मैंने 'परिणीता' में अहम रोल निभाया।'
विद्या को बॉलीवुड में बड़ी कामयाबी हासिल करने में काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा और अभिनेत्री मानती हैं कि उनका संघर्ष अब भी जारी है। हालांकि विद्या मानती हैं कि अब संघर्ष अलग किस्म का हो गया है क्योंकि अब उनकी सफलता और विफलता की खबरें लोगों के बीच होती हैं।
'कहानी', 'डर्टी पिक्चर', 'इश्किया' और 'पा' जैसी फिल्मों में संजीदा किरदार निभा चुकी विद्या बालन कहती हैं, कहा कि, "मैं नॉन फिल्मी बैकग्राउड से आती थी और मुझे उस समय जानकारी नहीं थी कि एक्ट्रेस बनने के लिए मुझे क्या करना होगा। मैं एक्ट्रेस बनने का सपना देखती थी। मुझे मेरे परिवार की चिंता थी मगर उन्होंने मेरा समर्थन किया। जब मेरा पहला टीवी शो ला बेला कुछ समय बाद बंद हो गया, तब मेरे परिवारवालों को लगा होगा कि अब मेरा एक्टिंग का भूत उतर जाएगा।"
विद्या कहती हैं, 'संघर्ष जीवन का हिस्सा है। शुरुआत में संघर्ष यह था कि मैं शायद कभी अभिनेत्री न बन पाऊं या एक कुंठित कलाकार के तौर पर मर जाऊं। लेकिन अब संघर्ष सार्वजनिक है।'
40 स्क्रीन टेस्ट, 17 मेकअप शूट देने के बाद मिली थी ‘परिणीता’
बहुत कम लोग जानते है कि विद्या बालन ने फिल्मो में आने से पहले पॉपुलर टी.वी. सीरियल ‘हम पांच’ में नजर आ चुकी थीं। विद्या बालन उस समय सिर्फ 17 साल की थी। तो वही विद्या के फिल्मी करियर की बात करे तो विद्या ने पहली फिल्म 'परिणीता' में बतौर लीड रोल में काम किया। लेकिन विद्या को ये फिल्म इतनी आसानी से नही मिली। विद्या को इस फिल्म को पाने के लिए कड़ी महेनत करनी पड़ी। 40 स्क्रीन टेस्ट, 17 मेकअप शूट देने के बाद उन्हें ‘परिणीता’ मिली थी। और इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर बेस्ट डेब्यू आवार्ड भी मिला। विद्या ने फिल्म ‘डर्टी पिक्चर्स’ के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता था।
आमिर की वजह से लगा था धक्का
विद्या बालन की मानें तो आमिर खान की वजह से उन्हें एक बार बहुत धक्का लगा था। दरअसल विद्या एक शोक सभा में गई थी। वहां इंडस्ट्री से केवल विद्या ही थीं। मीडिया से आए लोग उनकी तस्वीरें खींच रहे थे लेकिन जैसे ही आमिर खान वहां आए सारी मीडिया उन्हे धक्का देकर आमिर की तरफ चली गई। इससे उनके दिल को बहुत धक्का लगा। विद्या ने कहा था- आमिर की जगह कोई और भी हो सकता था। लेकिन मैं समझ गई कि जो आपसे ज्यादा कामयाब है लोग उसके पीछे दौ़ड़ेंगे। मुझे उस समय खराब जरूर लगा था लेकिन आज मैं इन चीजों की तरफ गौर नहीं करती।
डर्टी पिक्चर ने आत्मविश्वास बढ़ाया
फिल्म पा में विद्या बालन ने अमिताभ बच्चन की मां की भूमिका निभाई थी। लेकिन उनकी श्रेष्ठ अदाकारी फिल्म ‘डर्टी पिक्चर्स’ में देखी गई, जो 60 और 70 के दशक में दक्षिण भारत की सेक्स सिंबल सिल्क स्मिता की जिंदगी पर बनी थी। विद्या बालन का कहना है कि, कौन सी भूमिका करूं, इस पर बहुत लंबा समय बिताने के बाद उन्होंने अपनी प्रवृत्ति को समझने में सफलता पाई। विद्या कहती हैं, "जिस तरह की भूमिकाएं मैंने की हैं और जैसी मैं हूं उससे यह भूमिका बिल्कुल अलग थी। जब मुझे इस तरह की भूमिका का प्रस्ताव मिला तो उसे छोड़ना बेवकूफी होती, तीन साल पहले वाली अपनी सोच को मैंने बदल दिया।"
विद्या बालन की फिल्म ‘डर्टी पिक्चर्स’ को देखने देश भर के सिनेमाघरों में भारी भीड़ उमड़ी थी। अपने बारे में विद्या कहती हैं, मैं भावुक हूं और पूरी ईमानदारी से अपनी भूमिकाएं निभाने की कोशिश करती हैं। डर्टी पिक्चर वाला किरदार बहुत ही मुश्किल था, लेकिन मैंने फैसला किया कि उन्हीं फिल्मों को करूंगी जिस पर मुझे भरोसा हो। मैं बाकी चीजों की अब चिंता नहीं करती क्योंकि किसी दायरे में या छवि में बंध जाना किसी अदाकार के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा होती है। हर फिल्म के साथ मैं यही कोशिश करती हूं कि खुद को किसी दायरे में कैद न करूं और यह तरकीब सफल रही है।" 2005 में परिणीता के साथ फिल्म करियर की शुरुआत करने वाली विद्या के लिए सिल्क स्मिता की भूमिका निभाना अब तक की सबसे बड़ी चुनौती रही है।
विद्या बालन ने ‘डर्टी पिक्चर्स’ के किरदार से कहीं न कहीं खुद को जोड़ लिया है लेकिन उन्हें हैरानी इस बात की है कि सिल्क स्मिता ने केवल अपने जिस्म का ही इस्तेमाल क्यों किया, दिमाग का क्यों नहीं किया। विद्या ने माना कि डर्टी पिक्चर ने उनके मन में शरीर को लेकर उनका आत्मविश्वास बढ़ाया। विद्या बालन को इस फिल्म के लिए अपना वजन 12 किला बढ़ाना पड़ा है।
इतना सुंदर चेहरा है, वजन कम क्यों नहीं करतीं
विद्या बालन बॉडी शेमिंग को लेकर अक्सर बोलती आई हैं। उन्होंने दूसरों के शरीर का मजाक बनाने वालों को आड़े हाथों भी लिया है। वह उन लोगों के लिए एक आइडल बनकर उभरी हैं जो इस तरह कमेंट्स का शिकार होते आए हैं, लेकिन आज इस मुकाम तक पहुंचने का सफर विद्या के लिए भी कोई आसान काम नहीं था। एक वक्त ऐसा था जब दूसरों से मिल रही आलोचना के अलावा विद्या को खुद पर भी शक होने लगा था।
विद्या ने कहा, मेरी जिंदगी में एक वक्त था मैं अपने शरीर के साथ जंग में थी। मैं अपनी बनावट से दुखी थी, नफरत करती थी और चाहती थी कि मेरा शरीर बदल जाए। लोग मुझसे कहते थे कि आपका इतना सुंदर चेहरा है, तो आप अपना वजन कम क्यों नहीं करतीं?' मुझे भी लगने लगा था कि अगर मेरा शरीर बदलेगा तो मैं सबके लिए स्वीकार्य हो जाऊंगी। मैं प्यार के काबिल होंगी, लेकिन जब मैंने वजन कम किया और पतली हुई तो मैंने महसूस किया कि तब भी मैं लोगों के लिए पूरी तरह स्वीकार्य नहीं थी, तो आपको दूसरों की सोच और उनके मुताबिक खुद को बदलने की कोई जरूरत नहीं है।
विद्या ने कहा, इसके बाद मैं खुद को नए तरीके से देखने लगी। मैंने खुद को स्वीकार किया और अपने शरीर की इज्जत करने लगी। यह एक लंबा सफर रहा। मैं अपने आप को खुश पाती हूं, मैं खूबसूरत महसूस करती हूं। मुझे लगता है कि खुद को दिया ये मेरा बेस्ट तोहफा है। मैं आज किसी को भी ये मौका नहीं देती कि कोई मेरे शरीर की वजह से मुझे अलग महसूस कराए।
विद्या कहती हैं, 'किसी के शरीर के साइज, आंखों के साइज और कभी रंग और अंग पर जोक्स बनाना शर्म की बात है। किसी को अंदाजा भी नहीं है कि आपके ऐसा करने से किसी के सेल्फ कॉन्फिडेंस को कितनी ठेस पहुंचती है। आपके चुटकुले किसी को चुभ सकते हैं। हर इंसान अलग है। इसी वजह से हर इंसान खास है।'
मैंने किसी को मुझसे कुछ गलत नहीं करने दिया
विद्या बालन ने बताया, 'मैं एक बार चेन्नई में थीं और वो डायरेक्टर मुझसे मिलने आए थे। मैंने डायरेक्टर से कहा कि किसी कॉफी शॉप में बैठकर बात करते हैं। लेकिन, उसने कहा कि हमें कमरे में बैठकर बात करनी चाहिए। हम उठकर कमरे में गए, लेकिन मैंने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ दिया। इसके बाद वह डायरेक्टर पांच मिनट के अंदर ही कमरे से बाहर निकल गया। मुझे बाद में अहसास हुआ कि मैं कास्टिंग काउच का शिकार होने वाली थी।' विद्या बालन ने कहा, "मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मुझे कभी कास्टिंग काउच या शोषण जैसी कोई चीज नहीं झेलनी पड़ी। यह काम पाने की ललक नहीं बल्कि अभिनय के प्रति मेरे जुनून की वजह से हुआ।" विद्या बालन ने बताया कि ऐसा उनके साथ कई बार हो चुका है, जब उन्हें भद्दे कपड़े और डायलॉग्स को लेकर परेशान किया गया। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैंने किसी को मुझसे कुछ गलत नहीं करने दिया।" युवा अभिनेत्रियों को शोषण से बचने की सलाह देते हुए विद्या कहती हैं, "यदि आपके साथ कास्टिंग काउच या शोषण जैसी कोई चीज हुई भी है तो अपने प्रति कटु न बनें। भूमिका और फिल्म न मिलने से दुनिया खत्म नहीं हो जाती। यह शुरुआत हो सकती है लेकिन अंत कभी नहीं हो सकती।"
मेरे जीवन का मंत्र
फिल्म मिशन मंगल में एक संवाद है कि अगर रिक्शा वाला चाहे तो वह कहीं पर भी जा सकता है। विद्या बालन कहती हैं, यह मेरे जीवन का मंत्र रहा है। लोग किस्मत और नसीब की बातें करते हैं। मुझे लगता है कि यह सब हमारे हाथ में ही होता है। हम अपनी जिंदगी के साथ क्या करना चाहते हैं, इसका निर्णय केवल हम ले सकते हैं। उस निर्णय को लेने के बाद उस राह पर आगे बढ़ना भी हमारा ही काम है। कोई और हमारे लिए यह काम नहीं कर सकता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.