यू-ट्यूब पर लोगों ने वीडियो देख मरने की सलाह दी, आज वही लिजी बनी है लोगों के लिए प्रेरणा
नई दिल्ली। जब वह महज 17 साल की थी, यू-ट्यूब पर उसका एक वीडियो आया। उस वीडियो का टाइटल था, 'द वर्ल्ड्स अगलिएस्ट वूमेन' यानी 'दुनिया की सबसे बदसूरत महिला।' सिलसिला यही नहीं रुका, उस वीडियो पर आए कमेंट्स ने उसे और तोड़ दिया, लोगों ने उसे कई तरह से अपमानित किया था, यहां तक कि मरने की भी सलाह दे डाली। बहुत तकलीफ हुई, एक बार तो बहुत बुरा सोच भी लिया, लेकिन नहीं। खुद को मजबूत किया और लड़ने का फैसला किया। उसने लोगों को बता दिया कि बदसूरत वह नहीं, लोगों की सोच है। आज जिंदगी से निराश व्यक्तियों को वह प्रेरणा दे रही हैं, उन्हें जीने का मकसद सिखा रही हैं। यह एक कहानी नहीं, बल्कि लिजी वेलासक्वेज की हकीकत है।
बीमारी ने बना दिया उम्र से पहले बूढ़ा
1989 में ऑस्टिन में जन्मी लिजी जन्म से ही ऐसे मार्फन और लिपोडिसट्रॉफी सिंड्रोम से पीड़ित हैं। इस सिंड्रोम से दुनिया में अब तक सिर्फ कुछ लोगों को पीड़ित पाया गया है। इस सिंड्रोम के चलते लिजी का वजन भी बहुत कम है और उन्हें एक आंख से दिखाई नहीं देता। इस बीमारी का असर उसके चेहरे, मांसपेशियों, मस्तिष्क, हृदय, आंख और हड्डियों पर पड़ा। इस कारण वह उम्र से पहले ही बूढ़ी दिखाई देने लगी और वजन बढ़ना भी बंद हो गया। लिजी को दिसंबर 2013 में ऑस्टिन में एक टॉक शो से लोकप्रियता मिली, जिसमें उन्होंने अपने अनुभव और आइडिया लोगों से बांटे।
वीडियो ने बदल दिया नजरिया
लिजी का बचपन ठीक से बीता। उस दौरान उन्हें कोई परेशानी नहीं थी। लेकिन 17 साल की उम्र में जब उन्होंने यू-ट्यूब पर 'द वर्ल्ड्स अगलिएस्ट वूमेन' के टाइटल वाला अपना वीडियो देखा, तो जिंदगी में भूचाल आ गया। उस वीडियो पर लोगों द्वारा दिए गए कमेंट और भी परेशान करने वाले थे। लिजी कहती हैं कि वे रोई नहीं, बल्कि खुद को हंसाया, खुश रखा। इस बात का खुद एहसास किया कि यह सिंड्रोम कोई परेशानी नहीं, बल्कि ईश्वर की ओर से मिली दुआ है, जिसके जरिए उन्हें खुद को बेहतर करने और लोगों को प्रभावित कने का मौका मिला है।
डॉक्यूमेंट्री से लोगों को सिखाया हार नहीं मानें
लिजी ने उन लोगों के लिए एक डॉक्यूमेंट्री लॉन्च करने का फैसला किया जो लोगों के तानों का शिकार होते हैं। डॉक्यूमेंट्री के जरिए लोगों को समझाने की कोशिश की कि उन्हें घबराना नहीं चाहिए। लिजी ने 'ए ब्रेव हार्ट : द लिजी वेलासक्वेज' नाम रखा डॉक्यूमेंट्री का। यह डॉक्यूमेंट्री सामाजिक उत्पीड़न से जूझती लिजी के संघर्ष की कहानी है, जो आज लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। लेकिन लिजी ने हार नहीं मानी उन्होंने इसे मात्र प्राकृति की देन समझा और खुद को बेहतर करने और लोगों को प्रभावित करने का काम किया। उन्होंने डॉक्यूमेंट्री फिल्म से लोगों को अपनी कहानी बतानी शुरू की और उनके लिए एक प्रेरणा बनीं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.