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न्यूरो पेशेंट बेटी की मां के तबादले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

Published - Tue 18, Jun 2019

कहा, अधिकारियों ने अदालत के पूर्व के आदेशों को किया नजरअंदाज, चार सप्ताह में नियमों के तहत तार्किक आदेश पारित करें

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लखनऊ। न्यूरो पेशेंट बेटी की मां के तबादले का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ पहुंचा है। इस महिला कर्मचारी के प्रत्यावेदनों पर विभाग ने कोई सुनवाई नहीं की, जबकि ऐसे मामलों में अदालत पहले ही व्यवस्था दे चुकी है। न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया ने अंजू वर्मा के तबादले पर रोक लगाते हुए अधिकारियों को नियमों के तहत फैसला लेने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने याची के खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही किए जाने पर भी रोक लगा दी है।
याचिकाकर्ता के वकील एसके यादव की दलील थी कि मुख्य सेविका के पद पर तैनात याची अंजू वर्मा की बेटी न्यूरो पेशेंट है और 29 मार्च 2018 को तय स्थानांतरण नीति में यह व्यवस्था है कि किसी कर्मी को जिसके परिवार का कोई सदस्य मानसिक रूप से अस्वस्थ हो, का तबादला तभी किया जा सकता है जबकि उक्त कर्मी के खिलाफ कोई शिकायत हो।
याचिका के मुताबिक, याची को 19 सितंबर 2018 को गैर जनपद स्थानांतरित कर दिया गया। याची ने इसे लेकर तब भी याचिका दायर की थी। इस पर अदालत ने 28 सितंबर 2018 को याची के सक्षम प्राधिकारियों को नए सिरे से प्रत्यावेदन देने के निर्देश दिए थे। इसके बाद याची ने 13 फरवरी 2019 को प्रत्यावेदन दिया था, जिसे अस्वीकृत कर दिया गया। मौजूदा याचिका में प्रत्यावेदन अस्वीकृत किए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई।
हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा, सक्षम प्राधिकारियों ने इस मामले में अदालत के पूर्व के आदेशों को नजरअंदाज किया है। अगर याची तय समय में तबादला नीति से संबंधित दस्तावेज के साथ नया प्रत्यावेदन अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करता है तो उन्हें चार सप्ताह में नियमों के तहत तार्किक आदेश पारित करना होगा।