जब महिला जीवित थी तो उनकी इच्छा मृत्यु के बाद अंगदान करके औरों को जीवन देने की थी, जिसे ध्यान में रखते हुए उसके परिजनों ने महिला का शरीर अंगदान के लिए सौंप दिया। महिला के इन अंगों को अलग-अलग चार मरीजों में प्रत्यारोपित करने के लिए सुरक्षित किया गया है।
नोएडा। किसी भी इंसान के लिए जिंदगी सबसे महत्वपूर्ण हैं, और अंगदान कर आप किसी को जिंदगी का तोहफा दे सकते हैं। 56 वर्षीय महिला एवं उनके परिजनों के जज्बे के कारण चार लोगों को जिंदगी का तोहफा मिला है । महिला का एक्सीडेंट होने पर उन्हें सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया । गौरतलब है कि ब्रेन डेड मरीज के दोबारा सही होने या होश में आने की संभावना नहीं रहती है। ऐसा व्यक्ति सिर्फ मशीनों के सहारे कुछ समय तक जीवित रखा जा सकता है। जब महिला जीवित थी तो उनकी इच्छा मृत्यु के बाद अंगदान करके औरों को जीवन देने की थी, जिसे ध्यान में रखते हुए उसके परिजनों ने महिला का शरीर अंगदान के लिए सौंप दिया। ब्रेनडेड के मामलों में अंगदान के लिए मरीज के परिजनों की सहमति बेहद आवश्यक है। लेकिन बहुत कम ही परिवार ऐसे मामलों में ब्रेन डेड व्यक्ति का शरीर अंगदान के लिए सौंपने को तैयार होते हैं।
महिला के अंगों को अलग-अलग चार मरीजों को प्रत्यारोपित करने के लिए सुरक्षित किया गया। जिनमें से एक प्रत्यारोपण मैक्स अस्पताल साकेत में सफलता पूर्वक रविवार को संपन्न हुआ। इसके लिए रविवार को ग्रीन कारिडोर तैयार कर महिला का हृदय मैक्स अस्पताल पहुंचाया गया।
गौरतलब है कि अंगदान करने वाले व्यक्ति के अलग-अलग अंगों को जरूरत के अनुसार अलग-अलग लोगों में प्रत्यारोपित किया जाता है। ऐसे में व्यक्ति की दोनों किडनी, हृदय, लीवर जैसे अंगों को प्रत्यारोपित करके कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
डॉ. केवल कृष्ण, निदेशक हार्ट ट्रांसप्लांट और वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइसेस, मैक्स अस्पताल ने बताया कि ग्रीन कारिडोर के जरिए उन्हें एक महिला का हृदय प्राप्त हुआ। जिसे एक 28 वर्षीय व्यक्ति को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर दिया गया है। उसकी सर्जरी में ढाई घंटे का समय लगा। मरीज का दिल सूजा हुआ था जिसे सही करने के लिए उसकी ओपन हार्ट सर्जरी की गई। महिला के अंगदान की वजह से इस व्यक्ति को बचाना मुमकिन हुआ। इस व्यक्ति की दो महीने पहले भी एक सर्जरी हुई थी जो कि असफल रही थी। फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है और वह खतरे से बाहर है। गौरतलब है कि हर साल, 5 लाख भारतीय मरीज अंगदान के इंतजार में दम तोड़ देते हैं। अंगदान के जरिए एक व्यक्ति कई लोगों की जिंदगी बचा सकता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.