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अरुणा तंवर ने पैरालिंपिक्स में खेले बिना इतिहास रच दिया

Published - Sat 19, Jun 2021

हरियाणा के भिवानी की रहने वाली अरुणा तंवर पैरालिंपिक्स में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय ताइक्वांडो खिलाड़ी हैं। अरुणा ने वाइल्डकार्ड से एंट्री की है।

aruna tawar

नई दिल्ली। हौसला अगर बुलंद है, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। ये हौसला ही तो है कि हरियाणा के भिवानी के दीनोद गांव की अरुणा तंवर ने इतिहास रच दिया। वो भारत की पहली ऐसी महिला ताइक्वांडो खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पैरालिंपिक्स के लिए क्वालीफाई किया है। वैसे तो वो दिव्यांग हैं, लेकिन उनकी हिम्मत और हौसला किसी के लिए भी एक प्रेरणा है। उन्हें वाइल्ड कार्ड के जरिए आगामी पैरालिंपिक्स में एंट्री मिली है।

कभी निराशा को नहीं होने दिया हावी
अरुणा बचपन से ही मार्शल आर्ट को पसंद करती थीं। वो चाहती थीं कि वो भी मार्शल आर्ट सीखें। चूंकि दिव्यांग थीं, तो ये उनके लिए मुश्किल चुनौती था, लेकिन फिर भी खुद से वादा किया कि वो इस क्षेत्र में आगे बढ़ेंगी। पिता पेशे से ड्राइवर थे, तो परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन फिर भी उन्होंने बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें अच्छे से पढ़ाया, उन्हें अपने तरीके से जीने का अधिकार दिया। शुरुआत में वो सामान्य वर्ग में खेल कर आगे बढ़ना चाहती थीं, लेकिन बाद में पैरा-ताइक्वांडो में भाग लेना शुरू कर दिया। दिव्यांग होने के कारणउ नके लिए यह सब आसान नहीं था, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी मेहनत से आगे बढ़ती रहीं और सफलता उनके कदम चूमती गई। इसी क्रम में अब आगामी टोक्यो पैरालम्पिक के लिए क्वालीफाई कर उन्होंने अपने परिवार के साथ-साथ भारत का नाम भी रोशन किया है। अरुणा कहती हैं कि देश ने उनपर विश्वास जताया है, तो वो जरूर देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर ही लौटेंगी।