असम की प्रियदा के बेटे को बिना किसी अपराध के डेढ़ साल तक जेल में बंद रखा गया। बेटे ने जेल में बंद रहते हुए चुनाव लड़ा और उनकी मां प्रियदा ने उनकी जीत के लिए दिन रात एक कर दिया और बेटे अखिल गोगोई को जीत दिला कर ही मानीं।
नई दिल्ली। असमिया जाति की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने वाले असम के अखिल गोगाई को बिना किसी अपराध के जेल में डाल दिया गया। पढ़े-लिखे बेटे को बिना किसी अपराध के जेल में डाले जाने से मां प्रियदा बेहद परेशान थीं। अखिल ने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया और मां प्रियदा बनी बेटे की ताकत और अपनी कड़ी मेहनत से बेटे की जीत पर मुहर लगवा ही दी।
उम्र 85 साल पर जोश है कमाल
असम के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले अखिल गोगोई की मां प्रियदा गोगोई की उम्र 85 साल है। असम के शिवसागर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने वाले अखिल की जीत को इलाके के लोग उनकी मां प्रियदा की मेहनत का ही नतीजा मानते हैं। अखिल ने नागरिकता कानून का विरोध किया था, जिसके चलते उन्हें दिसंबर 2019 से जेल में बंद कर दिया गया। अखिल गोगोई ने असम विधानसभा के ताजा चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा था और वे सत्तारूढ़ बीजेपी के उम्मीदवार सुरभि राजकोंवरी को 11,875 वोटों से हराने में कामयाब हुए हैं।
अखिल की जीत में लोगों को प्रभावित करने वाली उनकी मां थीं। वे एक तरह से अपने बेटे के लिए लोगों से न्याय की गुहार लगा रही थीं। वे लोगों को जाकर बतातीं और पूछतीं कि असमिया जाति की सुरक्षा के लिए आंदोलन करने वाले एक व्यक्ति को इतने लंबे समय तक जेल में कैसे रखा जा सकता है? अखिल की मां जब घर-घर जाकर लोगों से मिलीं तो इसका बड़ा भावनात्मक असर पड़ा। बूढ़ी होने के बावजूद वो कई बीमारियों से भी जूझ रहीं थीं, लेकिन थकी नहीं हारी नहीं और मां की ताकत के सामने सत्ताधारी ताकत हार गई।
प्रचार नहीं आता था, लेकिन अपनी बात रखी थी
प्रियदा गोगई को बेटे क लिए प्रचार कैसे करना है, इसके बारे में नहीं पता था, लेकिन वो लोगों के सामने सच रखती थीं। अखिल के आंदोलन के बारे में बतातीं। उनकी बातों ने लोगों को बेहद प्रभावित किया और शिवसागर के लोगों ने अखिल को अपना समर्थन दिया। जिस समय प्रदेश में नेता बड़ी बड़ी रैलियां कर रहे थे, उसे समय प्रियदा घर-घर जाकर लोगों से मिल रहीं थीं और उन्हें सही गलत बता रही थीं। सुबह नौ बजे घर से निकलकर देर शाम तक इलाके में घूमती रहतीं। एक पोटली में खाना साथ रखतीं। लोगों को बतातीं कि उनका बेटा पढ़ा लिखा है। अच्छी नौकरी कर सकता था, लेकिन आपके लिए लड़ रहा है। उनकी बातों का लोगों पर गहरा असर पड़ा। मोदी-शाह के क्षेत्र के लोगों को तमाम वादे करने के बाद भी प्रियदा के बेटे ने जीत हासिल की।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.