असम की रूपज्योति गोगोई प्लास्टिक कचरे से हैंडलूम प्रोडक्ट बनाने का काम कर रही हैं। पर्यावरण की दिशा में उनका ये अनूठा प्रयास सफल भी हो रहा है और महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।
नई दिल्ली। पर्यावरण को बचाने के दावे सरकार आए दिन करती है, लेकिन हकीकत क्या है, किसी से छिपा नहीं। पर्यावरण के बारे में जो सच में चिंता करते हैं, वो बिना शोर-शराबे के इस दिशा में काम करते हैं और सफल भी होते हैं। असम के कांजीरंगा नेशनल पार्क के पास रहने वाली रूपज्योति साइकिया गोगाई को प्लास्टिक कचरे से प्रदूषित होते नेशनल पार्क की चिंता थी। उन्होंने पार्क के आसपास फैले कचरे को एकत्र कर उससे हैंडलूम का सामान बनाना शुरू किया। 2004 से शुरू हुआ उनका अभियान न रुकने वाला सफर बन चुका है। वे पार्क के आसपास फैले कचरे को जमा कर उसे साफ करती हैं और उससे सुंदर हैंडबैग से लेकर टेबल मैट, पायदान, सजावट का सामान आदि बनाती हैं। उनकी मुहिम से कांजीरंगा नेशनल पार्क के आसपास फैले प्लास्टिक के कचरे का निस्तारण तो हुआ, महिलाओं को रोजगार भी मिला। रूपज्योति अब तक 2300 से ज्यादा महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं। अपने सामान की ऑनलाइन सेल करने के साथ-साथ उन्हांने काजीरंगा नाम से एक हाट भी खोला है।
पर्यावरण संरक्षण भी रोजगार भी
रूपज्योति कांजीरंगा नेशनल पार्क के आसपास फैले प्लास्टिक के कचरे से पार्क को प्रदूषित होने से बचाने को लेकर चिंतित थीं। उन्होंने सबसे पहले वहां फैली प्लास्टिक को एकत्र करना शुरू किया। जिसमें प्लास्टिक की पुरानी बोतल, पन्नी, फूड पैकेट आदि शामिल थे। उन्होंने इस कबाड़ को पहले अच्छे से साफ किया और कैंची से काटकर जोड़कर उसका लंबा धागा तैयार किया और उससे सुंदर सामान तैयार किया। इतना ही नहीं पर्यावरण संरक्षण की अपनी इस मुहिम में उन्होंने अन्य महिलाओं को भी जोड़ और काम के साथ-साथ ट्रेनिंग भी दी। अब तक वो 2300 महिलाओं को ट्रेनिंग भी दे चुकी हैं और रोजगार भी दे रही हैं। रूपज्योति की कोशिश से न सिर्फ महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हुईं बल्कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दिया। रूपज्योति कहती हैं कि मुझे पर्यावरण की चिंता है। मैं चाहती हूं कि जंगल साफ हो और उन्हें कोई नुकसान न पहुंचे, इसलिए मैंने ये प्रयास शुरू किया।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.