दो माह की बच्ची की मां रोनिता ने इस संकट के समय सोशल मीडिया पर एक ऐसा संदेश लिखा कि उनके जज्बे की हर कोई तारीफ कर रहा है।
नई दिल्ली। कोरोना के इस संकट के समय में छोटी-छोटी मदद बड़ा हौसला दे रही हैं और उससे किसी का जीवन, आशा और विश्वास भी जीवित है। रोनिता कृष्णा शर्मा ने भी इस मुसीबत के समय में कुछ ऐसा किया जो दिखाता है कि मानवता अभी जिंदा है। वे अपने परिवार के साथ गुवाहाटी में रहती हैं। दो माह पहले ही उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया है। कोरोना संकट के इस समय में रोनिता को खबरों और आसपास के लोगों से पता चलता रहता कि फलां महिला कोरोना संक्रमित हो गई, उसका नवजात बच्चा है, वे उसे दूध नहीं पिला पा रही। ये सुनकर रोनिता को दुख होता और वे सोचतीं कि वो क्या ऐसा करें, जो लोगों की मदद हो जाए। पति और परिवार की अनुमति से उन्होंने सोशल मीडिया पर मदद के लिए एक ऐसा संदेश लिखा कि लोग उनके इस कदम की खूब तारीफ कर रहे हैं।
जरूरतमंद नवजातों के लिए की ब्रेस्ट फीड की अपील
रोनिता ने सोशल मीडिया पर लोगों से एक अपील की। उन्होंने लिखा कि वो एक दो माह की बच्ची की मां हैं और आसपास ऐसी कई कोरोना संक्रमित महिलाओं की खबरें सुन-देख रही हैं, जो संक्रमण के कारण बच्चों को स्तनपान नहीं करा पा रही हैं। या ऐसे बच्चे जिन्होंने अपनी मां को कोरोना के चलते खो दिया है। मैं ऐसे नवजात बच्चों के लिए अपना ब्रेस्ट मिल्क देने के लिए तैयार हूं, जिन्हें जरूरत है वे उनसे संपर्क कर सकता है, वो इस समय इतना तो कर सकती हैं।
दूसरी महिलाओं से भी कहा आगे आएं
रोनिता ने सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी महिलाओं से भी इस मुहिम में आगे आने के लिए कहा, जो नवजातों को स्तनपान कराती हैं। उनका कहना है कि उनका छोटा सा प्रयास ढेरों माताओं को वह ऐसा करने के लिए उत्साहित कर सकती हैं। ऐसा समय है जिसमें आप जो भी लोगों की मदद के लिए कर सकते हैं, आपको करना चाहिए।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.