झारखंड की एथलीट गीता कुमारी राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में आठ गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं, लेकिन लॉकडाउन, कोरोना संकट और आर्थिक तंगी के कारण आजकल जीवन यापना करने के लिए सब्जी बेच रही हैं। गीता का कहना है कि बुरा समय ही हमें सिखाता है कि हमें कैसे आगे बढ़ना है।
नई दिल्ली। झारखंड एक बेहद पिछड़ा राज्य है। यहां बेटियों की शिक्षा और संसाधन बेहद कम हैं, लेकिन फिर भी यहां से एक बेटी ऐसी निकली, जिसने खेल के दम पर क्षेत्र का नाम रोशन किया। बात हो रही है एथलीट गीता कुमारी की। गीता राज्य स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में पैदल चाल में अब तक आठ स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं और कोलकता में आयोजित पैदल चाल प्रतियोगिता में उन्होंने एक कांस्य और एक रजत पदक जीता है। लेकिन कहते हैं न कि समय सबकी परीक्षा लेता है। सोना तपकर ही कुंदन बनता है और ऐसा आजकल एथलीट गीता कुमारी के साथ हो रहा है। गीता की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है। ऐसे में कोरोना संकट के बीच लगे लॉकडाउन ने उनकी परीक्षा ली और गीता को मजबूरन रामगढ़ जिले की गलियों में सब्जी बेचने निकलना पड़ा। जीवन यापन करने के लिए ऐसा करना गीता की मजबूरी थी, लेकिन न किसी तरह की शर्म और न परेशानी को समझते हुए गीता ने जो किया वो आजकल की लड़कियों के लिए मिसाल बन गया है। गीता कहती हैं कि परेशानियों से डरना नहीं चाहिए, उन्हें हराकर ही हमें आगे बढ़ सकते हैं।
सीएम हेमंत सोरेन ने की मदद
हजारीबाग जिले के आनंद कॉलेज से बीए कर रही गीता अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। जब सोशल मीडिया पर उनके ऐसा करने की खबरें वायरल हुईं, तो झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने खुद इसका संज्ञान लिया और गीता की मदद की। वहीं जिला प्रशासन ने उनको तत्काल पचास हजार की सहायता और एथलेटिक्स करियर को आगे बढ़ाने के लिए तीन हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता प्रदान करने की जानकारी गीता को दी। सीएम सोरेन को सोशल मीडिया से जानकारी मिली थी और उनके कहने पर ही मदद दी जा सकी।
गीता का सपना है ओलंपिक में पदक जीतना
एथलीट गीता का सपना देश के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है। गीता कहती हैं कि वो परेशानियों से डरती नहीं हैं। उनके लिए परेशानियां एक बेहतरीन अवसर की तरह हैं, जो उन्हें बताते हैं कि कैसे आगे बढ़ना है और कैसे खुद में सुधार करना है। गीता का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है और अब प्रशासन की मदद मिलने से वह खुश है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.