ऑस्ट्रेलिया की डॉ क्लोइ पशु चिकित्सक हैं और उन्हें हाथियों से बेहद प्यार है। वह अब तक कई हाथियों को नया जीवन दे चुकी हैं।
नई दिल्ली। प्रोफेशन और फैशन अगर एक साथ मिल जाएं, तो कुछ ऐसा निकलकर आता है, जो दुनिया के लिए एक नजीर बन जाता है। कुछ ऐसा ही ऑस्ट्रेलियाई पशु चिकित्सक डॉ क्लोइ कर रही हैं, जो एक नजीर बन चुकी हैं। वह माइन ब्लास्ट में पैर खो चुके हाथियों को कृत्रिम पैर लगाकर उनको चलने लायक बनाती हैं। उनका मानना है कि इंसान तो अपने किसी के अंग के बिना जीवन जी लेता है, लेकिन पशुओं का क्या, वो किससे कहें और कैसे जीवन जिएं। उनकी इसकी परेशानी को देखते हुए मैंने अपना जीवन पशुओं को समर्पित कर दिया।
हाथियों के लिए मसीहा हैं क्लोइ
थाईलैंड म्यांमार सीमा पर लैंडमाइन का पूरा जाल फैला हुआ है। यहां आतंकी गतिविधियां चलती रहीं है। इन लैंडमाइन की चपेट में आकर कई हाथी अपने पैर खो चुके हैं। ऐसे हाथियों के लिए ऑस्ट्रेलियाई पशु चिकित्सक डॉ क्लोइ बाइटिंग फरिश्ता बन कर सामने आ गई। उन्हें जंगल का डॉक्टर कहा जाता है। वह थाईलैंड में हर तरह के जानवरों का इलाज करती हैं लेकिन उन्होंने जिस तरह से इन हाथियों को नया जीवन दिया उससे दुनिया इनकी तरफ आकर्षित हुई जिसके बाद इन्हें एक विशेष पहचान मिली।
चलाती हैं हाथियों के लिए अस्पताल
क्लोइ एफएई द्वारा बनाए गए हाथियों के दुनिया के एकमात्र अस्पताल को चलाती हैं। इस अस्पताल में एक कारखाना भी है, जो हाथियों के लिए कृत्रिम पैर डिजाइन करता है और उन्हें जरूरतमंद हाथियों को फिट भी करता है। 1993 में वह चियांग माई के संपर्क में आईं, जो एशियाई मूल के हाथियों के एक समूह की देखभाल करते थे। बस यहीं से संपर्क बढ़ता गया और थाइलैंड में हाथियों के लिए काम करने लगीं। वो जो हाथियों को कृत्रिम पैर लगाती हैं, उसे हाथियों को केवल दिन में पहनाया जाता है। सोते समय उसे निकाल दिया जाता है। इस कृत्रिम पैर को रैचेट सिस्टम की मदद से जरूरत के अनुसार टाइट किया जाता है. डॉ क्लोइ के इस काम की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। उन्होंने अफ्रीका में भी जानवरों का इलाज किया है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.