दस्यु सरगना से राजनीति में कदम रखने वालीं फूलन देवी के गुढ़ा का पुरवा गांव में 15 साल पहले तक घर-घर शराब की भट्ठियां थीं। सूरज ढलते ही लगभग पूरा गांव नशे में झूमने लगता था। आसपास के गांवों में भी शराब सप्लाई की जाती थी। इसी के साथ और भी कई कुरीतियां गांव में आ गई थी। बदनामी के चलते इस गांव में कोई अपनी बेटी की शादी करने से भी कतराता था। भगवती देवी प्रधान बनीं तो उन्होंने शराब से गांव का पिंड छुड़ाने का बीड़ा उठाया और सफल जंग लड़ी। जिला प्रशासन ने उनकी सराहना की है।
लखनऊ। भगवती देवी ग्राम प्रधान बनने से पहले ही गांव की तस्वीर बदलने के लिए प्रयास कर रही थीं, लेकिन ज्यादा बदलाव नहीं हो रहा था। जब वह पहली बार प्रधान बनीं तो उन्होंने गांव की महिलाओं की टोली बनाई और उन्हें यह समझाया कि शराब के कारण नई पीढ़ी बर्बाद हो रही है। गांव के लड़कों का न तो काम में मन लगता था और न ही पढ़ने में। कई तो होश संभालते ही नशे के धंधे में कूद पड़ते थे। इससे बड़ी दिक्कत महिलाओं की थी। अभाव में बदले स्वभाव ने बड़े झगड़े पैदा कर दिए। घर टूटने के कगार पर आ गए। घर-गृहस्थी तबाह होने लगी। यह सब देखने के बाद ही भगवती देवी ने संकल्प लिया कि गांव में एक भी शराब की भट्ठी नहीं चलने देंगी, लेकिन इसके लिए बहुत बड़ा संघर्ष करना पड़ा। कोई लड़ने को तैयार हो जाता तो कोई धमकी देकर डराता था। उनके प्रयास के कारण महिलाएं उनसे जुड़ी और धीरे-धीरे बदलाव शुरू हुआ।
धमकियों के आगे नहीं झुकीं भगवती देवी
भगवती बताती हैं कि वह धमकियों के आगे कभी नहीं झुकीं। गांव की महिलाओं की टोली बनाई और इनका हौसला बढ़ाया। यह इतना आसान काम नहीं था। टोली शराब की भट्ठियों पर टूट पड़ी। शुरुआत में मुहिम का उपहास बनाया गया, फिर जमकर विरोध किया गया और आखिरकार गांव वालों ने शराब के धंधे से तौबा कर ली।
गांव में नहीं खुलने दी शराब की दुकान
भगवती देवी बताती हैं कि उनके गांव में सरकारी शराब की दुकान खोलने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने महिलाओं के साथ मिलकर ऐसा नहीं होने दिया। इसके बाद गांव के हालात सुधरने लगे। कोई खेतीबाड़ी पर ध्यान देने लगा, किसी ने छोटा-मोटा धंधा कर लिया तो कोई कमाने के लिए बड़े शहर चला गया। अब गांव के विकास की सामूहिक कोशिश हो रही है। गांव में प्राथमिक स्कूल और इंटर कॉलेज हैं। गांव के जगमोहन कहते हैं कि शराब का धंधा बंद होने के बाद सुधार दिख रहा है। यहां की कोई लड़की फूलन देवी नहीं बनना चाहती पर शोषण के खिलाफ आवाज उठाना सीख गई हैं।
रंग लाया प्रयास, ग्रामीणों को मिल रहा योजनाओं का लाभ
भगवती देवी ने गांव की कुछ महिलाओं के साथ जागरुकता और नशे का धंधा बंद करने की जो मुहिम चलाई, उसका खासा असर पड़ा है। पिछड़ी जाति के लोग भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ भी काफी हद तक मिल रहा है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.