हमेशा देश के सिस्टम को कोसने वालों और विदेशों में बसने के सपने देखने वालों के लिए भोपाल से 20 किलोमीटर दूर बरखेड़ी के अब्दुल्ला गांव में रहने वाली भक्ति शर्मा एक मिसाल हैं। अमेरिका के टेक्सास में लाखों की नौकरी छोड़ भक्ति ने गांव में बसने और उसकी तस्वीर बदलने की ठानी।
नई दिल्ली। हमेशा देश के सिस्टम को कोसने वालों और विदेशों में बसने के सपने देखने वालों के लिए भोपाल से 20 किलोमीटर दूर बरखेड़ी के अब्दुल्ला गांव में रहने वाली भक्ति शर्मा एक मिसाल हैं। अमेरिका के टेक्सास में लाखों की नौकरी छोड़ भक्ति ने गांव में बसने और उसकी तस्वीर बदलने की ठानी। अमेरिका से लौटी भक्ति ने मुख्य धारा में आने के लिए सरपंच का चुनाव लड़ा और जीतीं। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने सरकारी संसाधनों और अपनी हिम्मत से गांवों की तस्वीर बदल दी। आज भक्ति शर्मा की गिनती देश के रोल मॉडल सरपंचों में होती है। सरपंच भक्ति शर्मा का नाम देश की 100 लोकप्रिय महिलाओं में भी शामिल है।
भक्ति के लिए गांव के लोगों को जागरूक करना इतना आसान नहीं था। इसके लिए उन्हें तकरीबन 4 साल तक संघर्ष करना पड़ा। वह कहती हैं, "अंग्रेजी में एक कहावत है यदि आप एक पुरुष को पढ़ाते हैं तो आप एक व्यक्ति को पढ़ाते हैं। यदि अपनी बेटी को पढ़ाते हैं तो पूरे परिवार को पढ़ाते हैं और यदि गांव का सरपंच पढ़ा-लिखा है तो वो पूरी पंचायत को जागरूक करता है।" 28 वर्षीय भक्ति शर्मा फर्राटेदार अंग्रेजी तो बोलती ही हैं साथ ही निडर होकर अधिकारियों से मिलती भी हैं। इनकी कोशिश रहती हैं कि हर सरकारी योजना का लाभ इनके पंचायत के लोगों को मिल सके।
पिस्टल रखना, बुलट पर फर्राटा भरना है शौक
भक्ति शर्मा ने राजनीति शास्त्र से एमए किया है, अभी वकालत की पढ़ाई कर रही हैं। बरखेड़ी अब्दुल्ला ग्राम पंचायत की सरपंच भक्ति शर्मा के शौक पुरुषों जैसे हैं। इन्हें ट्रैक्टर चलाना, पिस्टल रखना, बुलट से फर्राटे भरना पसंद है। ये अपनी बोलचाल की भाषा में भी जाता है, खाता है, आता हूं का प्रयोग सामान्य तौर पर करती हैं। इस पंचायत में कुल 2700 जनसंख्या है जिसमे 1009 वोटर हैं। ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) हो चुकी इस पंचायत में आदर्श आंगनबाड़ी से लेकर हर गली में सोलर स्ट्रीट लाइटें हैं।
बैठक करके ग्रामीणों की सुनती हैं समस्याएं
भक्ति बताती हैं, सरपंच बनते ही सबसे पहला काम मैंने गांव में हर बेटी के जन्म पर 10 पौधे लगाने और उनकी मां को अपनी दो महीने की तनख्वाह देने का किया। पहले साल 12 बेटियां पैदा हुई, मां अच्छे से अपना खान-पान कर सके इसलिए अपनी यानि सरपंच की तनख्वाह 'सरपंच मानदेय' के नाम से शुरू की। हमारी पहली ऐसी ग्राम पंचायत बनी जहां हर किसान को उसका मुआवजा मिला। हर ग्रामीण का राशनकार्ड, बैंक अकाउंट, मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाया। महीने में दो से तीन बार फ्री हेल्थ कैम्प लगता है। इस समय पंचायत का कोई भी बच्चा कुपोषित नहीं है।
पंचायत में लोगों की चहेती हैं भक्ति
ग्राम पंचायत का कोई भी काम भक्ति अपनी मर्जी से नहीं करती हैं। वर्ष 2016-19 में तकरीबन 20 ग्राम सभाएं हो चुकी हैं, पंचों की बैठक समय-समय पर अलग से होती रहती है। जब भक्ति सरपंच बनी थीं तो इस पंचायत में महज नौ शौचालय थे, वर्तमान में पंचायत ओडीएफ हो चुकी है। भक्ति का कहना है, हमने पंचायत में कोई भी काम अलग से नहीं किया, सिर्फ सरकारी योजनाओं को सही से लागू कराया है। पंच बैठक में जो भी फैसला करते हैं वही काम होता है। गांव में पक्की सड़कों से लेकर नालियों तक को आरसीसी करा दिया गया है।
गांव में चल रही डिजिटल क्लासेस
भक्ति ने अपने प्रयासों से अपनी पंचायत को सरकार की मदद से एक बड़ा सामुदायिक भवन पास करा लिया है। इस भवन में डिजिटल क्लासेज चल रही हैं। इसकी पावर सप्लाई सोलर एनर्जी से होती है। इसमें महिलाओं के लिए सिलाई सेंटर और चरखा केंद्र भी है।
महिलाओं पर ख़ास ध्यान
पंचायत की हर महिला निडर होकर रात के 12 बजे भी अपनी पंचायत में निकल सके भक्ति शर्मा की ऐसी कोशिश है। भक्ति ने कहा, पंचायत की हर बैठक में महिलाएं ज्यादा शामिल हों ये मैंने पहली बैठक से ही शुरू किया। मिड डे मील समिति में आठ महिलाएं हैं। महिलाओं की भागीदारी पंचायत के कामों में ज्यादा से ज्यादा रहे इसकी वह लगातार कोशिश कर रही हैं।
जैविक खेती को बढ़ावा, समय-समय पर सिखाए जाते हैं तरीके
पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से ग्राम पंचायत में पानी की बहुत समस्या है। पीने के पानी के लिए तो सबमर्सिबल लगा है, लेकिन खेती के लिए समय से पानी मिलना मुश्किल होता है। भक्ति का कहना है, जिनके पास 1012 एकड़ जमीन है, हमारी कोशिश है वो हर एक किसान कम से कम एक एकड़ में जैविक खेती जरूर करें। बहुत ज्यादा संख्या में तो नहीं लेकिन किसानों ने जैविक खेती करने की शुरुआत कर दी है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.