पेशे से डॉक्टर भाषा मुखर्जी जब 9 साल की थीं तब उन्होंने भारत छोड़ दिया था। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि यह मिस इग्लैंड का मुकाम हासिल करेंगी। सौंदर्य के क्षेत्र में रूझान में होने के कारण वह इस क्षेत्र में आईं। भाषा की पांच भाषाओं पर अच्छी पकड़ है।
नई दिल्ली। हाल ही में मिस इग्लैंड का खिताब अपने नाम करने वाली भाषा मुखर्जी ने जब नौ साल की उम्र में भारत छोड़ा था, तो उन्होंने सोचा भी नहीं था कि वह इस मुकाम पर पहुंचेंगी। लेकिन अपनी मेहनत और लगन के चलते भाषा ने मिस इग्लैंड का खिताब जीतकर दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय लड़कियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। भाषा को ब्यूटी कान्टेस्ट का शौक तो है ही वो पेशे से डॉक्टर भी हैं।
बांग्ला, फ्रेंच, जर्मन भी बोल सकती हैं भाषा
भाषा सिर्फ सौंदर्य के क्षेत्र में ही अपना परचम नहीं लहरा रहीं। उन्होंने नॉटिंघम विश्वविद्यालय से मेडिसिन और सर्जरी में स्नातक किया है। हिंदी और अंग्रेजी सहित व पांच भाषाओं पर पकड़ रखती हैं। वह अंग्रेजी और हिंदी के साथ बांग्ला, जर्मन और फ्रेंच भाषा बोल सकती हैं। मिस इंग्लैंड का खिताब जीते जाने के बाद भाषा अब दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिता मिस वर्ल्ड की तैयारी में जुट गई हैं। भाषा एक ऐसी युवती हैं, जिन्हें जीनियस सुंदरी भी कहा जाता है। उनका आईक्यू लेवल 160 है और वह आइंस्टीन अवार्ड भी जीत चुकी हैं। भाषा अपने शौक और प्रोफेशनल के साथ-साथ चैरिटी के कार्य से भी जुड़ी हुईं हैं। वह 2013 से 'जेनरेशन ब्रिज 'नाम से चैरिटी भी कर रही हैं। यह प्रोजेक्ट डरबी में फन डेज और टैलेंट शो का आयोजन कराने में सहायता करता है। भाषा बहुत मेहनती हैं और कई संस्कृतियों के घर इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करने के लिए न्यूकासल अपॉन टाइन में मिस का खिताब जीतने वाली आदर्श उम्मीदवार रही हैं।
शौक को पढ़ाई में नहीं बनने दी बाधा
चिकित्सक से मिस इंग्लैंड बनने के पीछे की उनकी कहानी भी बेहद दिलचस्प है। जब भाषा पढ़ रहीं थीं, तो उन्होंने ब्यूटी कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेना शुरू किया। उनके इस फैसले से कुछ समय के लिए पढ़ाई प्रभावित हुई, तो भाषा ने तय किया कि वो पहले पढ़ाई पूरी करेंगी और उसके बाद अपने शौक को समय देंगी। उन्होंने किया भी वही। चिकित्सा क्षेत्र में दो डिग्रियां हासिल करने के बाद भाषा ने शौक को समय दिया और आज उनके सिर मिस इंग्लैंड का ताज सज चुका है। भारत में जन्मी भाषा कोलकाता में रहती थीं। 2004 में उनका परिवार इंग्लैंड आ गया था। भाषा का कहना है कि अपने सपनों के पीछे भागते रहें ,तो सपने जरूर पूरे होते हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.